सुप्रीम कोर्ट सोमवार को नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं के एक बैच पर सुनवाई करेगा। सीएए के विरोध में देश भर में अभी तक प्रदर्शन जारी है। याचिकाकर्ताओं में कांग्रेस नेता जयराम रमेश, त्रिपुरा के प्रद्योत किशोर देब बर्मन शामिल हैं।
ज्ञात हो, मंगलवार को उत्तर-पूर्वी दिल्ली में सीएए के विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क उठी थी। गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने मोटर बाइक को आग लगा दी थी और पुलिस कर्मियों पर पथराव किया था। सीलमपुर में बसों और एक पुलिस बूथ को क्षतिग्रस्त कर दिया था।
इस बीच केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा था कि नागरिकता संशोधन अधिनियम के कार्यान्वयन पर वापस जाने का कोई सवाल ही नहीं है। साथ ही, उन्होंने विपक्ष पर सीएए के खिलाफ “झूठे” अभियान में शामिल होने का आरोप लगाया था।
जामिया के विद्यार्थियों को मिला कन्हैया कुमार का साथ
नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ आंदोलन कर रहे जामिया मिलिया इस्लामिया (जेएमआई) विश्वविद्यालय के छात्रों को अब जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के पूर्व अध्यक्ष और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के नेता कन्हैया कुमार का साथ मिला है। कन्हैया जामिया के प्रदर्शनकारियों के साथ एकजुटता दिखाने बुधवार को प्रदर्शन स्थल पर पहुंचे।
कन्हैया ने यहां छात्रों को संबोधित करते हुए कहा, “प्रदर्शन और आंदोलन करना प्रत्येक छात्र का अधिकार है, लेकिन यह शांतिपूर्ण ठंग से किया जाना चाहिए, अन्यथा इसका कोई मतलब नहीं रह जाता है।” पूर्व जेएनयू अध्यक्ष ने कहा, “हमारी लड़ाई सरकार और उसकी नीतियों के खिलाफ है, सरकारी या गैर-सरकारी संपत्ति से नहीं। संपत्ति को नुकसान पहुंचाना ठीक बात नहीं है। हमें चाहिए कि हम शांतिपूर्वक सरकार का विरोध करें।”
केरल में सीएए विरोध को लेकर भाजपा और माकपा की छात्र इकाइयों के बीच झड़प
केरल के एक कॉलेज और एक स्थानीय निकाय में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) को लेकर बुधवार को विरोध प्रदर्शन और झड़प देखने को मिली। एक तरफ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और उसका छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) थे, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस पार्टी और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) व उसकी छात्र इकाई थी।
त्रिशूर स्थित केरल वर्मा कॉलेज में उस समय उपद्रव मच गया, जब एबीवीपी के छात्र कार्यकर्ताओं को माकपा से जुड़े स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) के कार्यकर्ताओं ने पीट दिया।
कॉलेज में अब कुछ दिनों से विचारधाराओं में अंतर बहुत ज्यादा बढ़ने से तनाव पैदा हो गया है, क्योंकि एबीवीपी सीएए पर एक सेमिनार का आयोजन करना चाहती है और एसएफआई इसका विरोध कर रही है।
यह तय किया गया था कि जब चीजें शांत होगी तो बाद में इस पर चर्चा की जा सकती है। मगर स्थानीय पुलिस के अनुसार, बुधवार को मुसीबत बढ़ गई और प्रतिद्वंद्वी संगठनों से जुड़े छात्र आपस में भिड़ गए। कॉलेज के स्टाफ सदस्यों द्वारा हस्तक्षेप के बाद ही चीजें शांत हुईं।
एक पुलिस अधिकारी ने कहा, “अभी तक कोई मामला दर्ज नहीं किया गया है।”
इसी तरह पलक्कड़ नगरपालिका, जहां केरल में भाजपा का एकमात्र शासन है, दिन की परिषद की बैठक में तब तनाव बढ़ गया, जब सत्ताधारी भाजपा के पार्षदों और विपक्षी कांग्रेस व माकपा सदस्यों के बीच झड़पें शुरू हो गईं।
आईएएनएस से बात करते हुए कांग्रेस पार्षद भवदास ने कहा, “माकपा एक प्रस्ताव लेकर आई और उसने मांग की कि इसे चर्चा के लिए लिया जाए, जोकि सीएए से संबंधित था। हमने यह महसूस किया है कि यह देश को विभाजित करेगा, इसलिए बैठक में इस पर चर्चा होनी चाहिए।”
भवदास ने कहा, “सत्तारूढ़ भाजपा के नेतृत्व वाला राजग इसे लेने के लिए तैयार नहीं था, इसलिए तनाव उच्च स्तर पर पहुंच गया”
भाजपा के पास 140 सदस्यीय केरल विधानसभा में सिर्फ एक विधायक है।
सीएए व एनआरसी के खिलाफ मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ में बुधवार को विरोध दिवस
नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और एनआरसी के विरोध में वामपंथी दलों के राष्ट्रव्यापी विरोध दिवस के तहत गुरुवार को मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी वामपंथी पार्टियां विरोध दिवस मनाएंगी। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की मध्य प्रदेश इकाई के सचिव जसविंदर सिंह ने बताया, “यह कानून देश के धर्मनिरपेक्ष ढांचे और संविधान की मूल भावना पर ही चोट है। आजादी के समय साम्प्रदायिक ताकतों के मंसूबों को नकार कर धर्मपिरपेक्ष भारत का निर्माण किया गया था। मगर अब सत्ताधारी भाजपा और संघ परिवार फिर से सावरकर और जिन्ना के द्विराष्ट्र के सिद्घांत को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं।”
इसी तरह माकपा की छत्तीसगढ़ इकाई के सचिव संजय पराते ने आईएएनएस से कहा, “संविधान की मूलभावना के खिलाफ लाए गए इस कानून के विरोध में छत्तीसगढ़ में भी विरोध दिवस मनाया जाएगा। इसके तहत रायपुर, बिलासपुर, कोरबा, चांपा, सूरजपुर, अम्बिकापुर आदि स्थानों पर विरोध दर्ज कराएंगे।”
माकपा नेता ने कहा है कि “वामपंथी पार्टियां संसद से लेकर सड़क तक इस कानून का विरोध करेंगी। हमने 19 दिसंबर को विरोध दिवस इसलिए चुना है, क्योंकि इस दिन रामप्रसाद बिस्मिल को गोरखपुर, अशफाक उल्ला खां को फैजाबाद और रौशन सिंह को नैनीताल जेल में फांसी दी गई थी। यह विरोध इन शहीदों के सपनों के भारत को बिगाड़ने की साजिशों के खिलाफ है।”
शिलांग में कर्फ्यू में 14 घंटे की ढील, हालात सामान्य
मेघालय की राजधानी शिलांग के दो पुलिस थाना क्षेत्रों में बुधवार को कर्फ्यू में 14 घंटे की ढील दी गई, जबकि मोबाइल इंटरनेट सेवाओं पर रोक बीते आठ दिनों से लागू है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। बीते कई दिनों से नए नागरिकता कानून को लेकर पहाड़ी शहर में कोई नई दिक्कत नहीं है।
जिला प्रशासन के एक अधिकारी के अनुसार, पूर्वी खासी हिल्स के जिला मजिस्ट्रेट एम.डब्ल्यू. नोंगबरी ने बुधवार को लुमडिंगजरी पुलिस थाने व सदर पुलिस थाने के तहत कर्फ्यू में सुबह 6 बजे से 14 घंटे की ढील देने का आदेश जारी किया।
अधिकारी ने कहा, “एहतियाती उपायों के तौर पर, कर्फ्यू को इन दोनों थाना क्षेत्रों में बुधवार शाम 8 बजे से फिर से अगले आदेशों तक के लिए लागू किया जाएगा।” सभी बैंक, दुकानें और बाजार, शिक्षण संस्थान खुले हैं और वाहन सड़कों पर चल रहे हैं। नागरिकता संशोधन अधिनियम को लेकर विरोध कर रहे आंदोलनकारी दिन में बाद में स्टूडेंट्स फील्ड में एक सभा का आयोजन करेंगे।
नए नागरिकता कानून को लेकर शिलांग व इसके बाहरी इलाकों में 11 दिसंबर को कर्फ्यू लागू कर दिया गया था।
जामिया के करीब 2000 छात्रों ने खाली किया हॉस्टल
जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के हॉस्टल से लगभग दो हजार से ज्यादा छात्र-छात्राएं अपने अपने घर जा चुके हैं। जामिया टीचर्स एसोसिएशन के महासचिव प्रोफेसर माजिद जमील ने आईएएनएस को बताया कि 70 फीसदी से ज्यादा छात्रों ने हॉस्टल खाली कर दिए हैं। जामिया के हॉस्टल में करीब 3,000 छात्र रहते हैं।
हॉस्टल खाली करने वालों में सबसे अधिक संख्या छात्राओं की है। हॉस्टल खाली कर चुकी तस्लीम, आलिया, इशरत ने बताया कि वे जामिया में बढ़ चुके तनाव व हिंसा से बुरी तरह भयभीत हैं और इसी डर से वे और उनके अन्य सहपाठी हॉस्टल खाली कर दिल्ली में अपने रिश्तेदारों के घर या फिर अपने पैतृक निवास लौट रहे हैं।
जरूरी सामान लेकर ये छात्राएं अपने-2 घरों के लिए रवाना हो गईं। सानिया नामक एक छात्रा ने बताया कि वह इस हिंसक माहौल में स्वयं को सुरक्षित महसूस नहीं कर रही हैं। छात्राओं ने बताया कि रविवार की घटनाओं के बाद उनके परिजन भी बुरी तरह डर गए हैं। विश्वविद्यालय के अंदर और बाहर बने हालात के बाद परिजन लगातार इन छात्र-छात्राओं से घर लौटने के लिए कह रहे हैं। इनमें से कई छात्राएं इस विरोध प्रदर्शन का हिस्सा भी नहीं रही हैं।
प्रोफेसर माजिद जमील के मुताबिक, विश्वविद्यालय प्रशासन इन छात्र-छात्राओं में विश्वास बहाली के लिए प्रयास करेगा, ताकि छात्र बिना किसी भय के अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करें। प्रोफेसर जमील ने उम्मीद जताई कि पांच जनवरी को छुट्टियां समाप्त होने के साथ ही अधिकांश छात्र जामिया लौट आएंगे।
जामिया के छात्र-छात्राएं नागरिक संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ सड़क पर उतर आए थे और रविवार को छात्र-प्रदर्शन के दौरान कुछ शरारती व बाहरी तत्वों ने जमकर हिंसा भी की। उपद्रवियों ने कई बसों व दुपहिया वाहनों को आग के हवाले कर दिया।
गौरतलब है कि विश्वविद्यालय में विरोध प्रदर्शन को देखते हुए पांच जनवरी तक अवकाश घोषित कर दिया गया है। इसके साथ ही यहां होने वाली परीक्षाओं को भी कुछ समय के लिए टाल दिया गया है। दिल्ली के जामिया मिलिया विश्वविद्यालय में बुधवार को भी नागरिक संशोधन कानून के खिलाफ पिछले छह दिन से चला आ रहा छात्रों का विरोध प्रदर्शन जारी रहा। इस दौरान जामिया टीचर्स एसोसिएशन ने भी यहां विरोध मार्च निकाला।
ममता बनर्जी – सबका साथ, सबका विकास नहीं, सबके साथ सर्वनाश किया है
पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने कोलकाता में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि अमित शाह आप सिर्फ भाजपा के नेता नहीं, देश के गृह मंत्री भी हैं। आप ने ‘सबका साथ, सबका विश्वास’ नहीं बल्कि ‘सबके साथ सर्वनाश’ किया है। नागरिकता संशोधन अधिनियम और एनआरसी को वापस लें, वरना मैं देखूंगी कि आप इसे पश्चिम बंगाल में कैसे लागू करते हैं।
अमित शाह : सीएए की विरोध करने से पहले कांग्रेस 1947 का प्रस्ताव देखे
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बुधवार को कांग्रेस को याद दिलाया कि सीएए पर मोदी सरकार की आलोचना से पहले उसे अपनी कार्यकारिणी के 1947 के प्रस्ताव को देखना चाहिए। अमित शाह ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ कांग्रेस को महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू व सरदार पटेल के बयानों को देखना चाहिए।
शाह ने कहा, “कांग्रेस पार्टी को सीएए का विरोध करने व इस पर देश भर में अफवाह और अशांति फैलाने से पहले महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, सरदार पटेल के 25 नवंबर, 1947 की कांग्रेस कार्यकारिणी में प्रस्ताव को पढ़ना और सुनना चाहिए।” उन्होंने कहा कि कांग्रेस को अपने नेता अशोक गहलोत के बयान को देखना चाहिए।
नवीन पटनायक – सीएए का भारतीयों से कोई लेना-देना नहीं
बीजू जनता दल (बीजद) के अध्यक्ष और ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने बुधवार को स्पष्ट कर दिया कि उनकी पार्टी राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) का समर्थन नहीं करेगी। उन्होंने नागरिकों से शांति बनाए रखने और अफवाह फैलाने वालों से सावधान रहने की अपील भी की।
पटनायक ने नई दिल्ली रवाना होने से पहले संवाददाताओं से कहा, “लोकसभा और राज्यसभा दोनों में बीजू जनता दल के सांसदों ने स्पष्ट कर दिया है कि हम एनआरसी का समर्थन नहीं करते हैं।” नागरिकों से शांति बनाए रखने की अपील करते हुए उन्होंने कहा कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) 2019 का भारतीय नागरिकों से कोई लेना-देना नहीं है और यह केवल विदेशियों से संबंधित है।
हाल ही में मुख्यमंत्री ने मुस्लिम समुदाय को आश्वासन दिया था कि उनकी सरकार राज्य में एनआरसी को लागू नहीं करेगी।
सीएए-एनआरसी दोनों के विरोध में जनता दल (सेक्यूलर)
कर्नाटक से जनता दल (सेक्यूलर) नेता एचडी कुमारस्वामी, ने कहा है कि हमारी पार्टी नागरिकता संशोधन अधिनियम और एनआरसी दोनों का विरोध करती है।
अरविंद केजरीवाल – आगामी चुनावों में हार का डर रखने वाले दंगा भड़का रहे हैं
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर निशाना साधते हुए कि वह दिल्ली में दंगे भड़काने में लगी है और हमेशा की तरह इल्जाम दूसरे पर मढ़ रही है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा, “किसी से छिपा नहीं है, सभी जानते हैं कि देश में दंगे कौन लोग भड़काते हैं।”
मीडिया से बात करते हुए उन्होंने परोक्ष रूप से भाजपा पर निशाना साधा और कहा कि विपक्ष को यह एहसास हो गया है कि आने वाले विधानसभा चुनाव में फिर आम आदमी पार्टी (आप) की जीत होने जा रही है।
दिल्ली विधानसभा में भाजपा के दो और अकाली दल के एक विधायक हैं। ये तीनों विपक्ष की भूमिका में हैं। केजरीवाल ने कहा, “ऐसे समय में, जब दिख रहा है कि आप अगला विधानसभा चुनाव भी जीतने वाली है, विपक्ष लगातार दिल्ली में हिंसा कराने की कोशिश कर रहा है।”
हिंसा में आप नेता की भूमिका होने का आरोप लगाए जाने के बाबत पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि सोचने वाली बात है कि इससे उनकी पार्टी को कोई फायदा नहीं होने वाला है, नुकसान ही होगा। तब ऐसा काम उनकी पार्टी के लोग क्यों करेंगे।
भाजपा नेताओं ने आरोप लगया है कि दिल्ली में रविवार से शुरू हुई हिंसा के लिए कथित तौर पर आप नेता जिम्मेदार हैं।
केजरीवाल ने कहा, “हम पर आरोप लगाने वाला विपक्ष खुद ही हिंसा फैला रहा है। सिर्फ उन्हें ही हिंसा फैलाकर फायदा उठाने की आदत रही है। आप क्यों हिंसा करेगी, हमें इससे क्या लाभ होगा? जिन्हें हारने (चुनाव में) का डर है, वे ही हिंसा में शामिल हैं, वे सोचते हैं, इसका उन्हें फायदा होगा। लेकिन दिल्ली की जनता अपना मन बना चुकी है। दिल्लीवासी इन लोगों के झांसे में आने वाले नहीं हैं।”
उन्होंने आगे कहा, “सभी जानते हैं कि भारत में कौन दंगे भड़काता है।” केजरीवाल ने कहा कि वह दिल्ली में बिगाड़े जा रहे हालात को लेकर चिंतित हैं और उन्होंने सभी से कानून-व्यवस्था को बनाए रखने की अपील की है। उन्होंने कहा, “हम सभी के पास प्रदर्शन करने का अधिकार है, लेकिन शांतिपूर्ण और अहिंसा के माध्यम से।”
दिल्ली के शाहीन बाग में सीएए विरोधी धरने से कई इलाकों में जाम, पुलिस ने जारी की एडवायजरी
नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ चल रहे प्रदर्शन थमने का नाम नहीं ले रहा है। रविवार को जामिया इलाके में बबाल हुआ। एक दिन बाद मंगलवार को उत्तर पूर्वी दिल्ली के सीलमपुर-जाफरबाद में हिंसक विरोध प्रदर्शन हुआ। और अब बुधवार को शाहीन बाग इलाके में प्रदर्शनकारी धरने पर हैं, जिसके कारण यातायात जाम की समस्या पैदा हो गई है।
दिल्ली पुलिस मुख्यालय ने अपने अधिकृत ट्विटर हैंडल के जरिए आम नागरिकों से जाम वाले इलाकों की सड़कों पर जाने से बचने की अपील की है।
दक्षिणी परिक्षेत्र के एडिशनल पुलिस कमिश्नर (ट्रैफिक) ए.के. सिंह ने बुधवार को आईएएनएस से कहा, “शाहीन बाग में बुधवार सुबह करीब 7-8 सौ लोगों की भीड़ धरना स्थल पर पहुंची। ये लोग दो-तीन दिन से धरना दे रहे हैं। ऐसे में आम जन को प्रभावित होने से बचाने के लिए ट्रैफिक पुलिस ने एहतियातन एडवाइजरी जारी की है, ताकि लोग बेवजह इस इलाके की सड़कों पर गुजरते वक्त जाम की स्थिति से न जूझें।”
दिल्ली पुलिस द्वारा जारी एडवाइजरी और एडिशनल पुलिस कमिश्नर (ट्रैफिक) ए.के. सिंह के मुताबिक, “शाहीन बाग में धरने के चलते नोएडा से कालिंदी कुंज की ओर यमुना पुल से आने वाले ट्रैफिक को रोक दिया गया है। ताकि दिल्ली के सरिता विहार, मथुरा रोड और शाहीन बाग के आसपास के इलाकों में यातायात इंतजाम न गड़बड़ाए।”
हालांकि दिल्ली पुलिस के इस एहतियाती इंतजाम के चलते नोएडा में अफरा-तफरी का माहौल पैदा हो गया है। कालिंदी कुंज की ओर बढ़ रहे वाहन वापस होने के लिए नोएडा की सड़कों पर इधर-उधर रांग साइड आने-जाने लगे। डीएनडी पर भी जाम की स्थिति बनी हुई है।
कालिंदी कुंज और ओखला के बीच मौजूद रोड नंबर-13 ए के अंडरपास को भी बंद कर दिया गया है। दिल्ली यातायात पुलिस की सलाह के मुताबिक, “वाहन चालक दिल्ली पहुंचने के लिए डीएनडी और अक्षरधाम की दिशा का रुख करें तो ज्यादा बेहतर होगा।”
हालांकि, इस रोड पर पहले से ही जाम लगा हुआ है।
दिल्ली पुलिस की एडवायजरी के मुताबिक, “मथुरा रोड से यूपी के नोएडा की तरफ जाने वाले वाहनों को आश्रम चौक, डीएनडी और नोएडा लिंक रोड से जाने की सलाह दी गई है। हालांकि ये रास्ते भी जाम से अटे पड़े हैं। साथ ही कालिंदी कुंज की ओर जाने वाला ओखला अंडरपास भी ट्रैफिक के लिए बंद किए जाने से वाहन चालकों को खासा परेशानी उठानी पड़ रही है।”
लखनऊ में प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का सीएए के विरोध में प्रदर्शन
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ प्रगतिशील समजावादी पार्टी का विरोध प्रदर्शन।
जामिया हिंसा मामले में दायक याचिका पर गुरुवार को दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई
दिल्ली हाईकोर्ट नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरोध में जामिया मिलिया इस्लामिया में हुई हिंसा की घटनाओं की जांच के लिए एक तथ्यान्वेशी समिति के गठन की मांग करने को लेकर दायर एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर गुरुवार को सुनवाई करेगी। याचिका में हिंसा में घायल लोगों को चिकित्सा सहायता देने की भी मांग की गई है।
मुख्य न्यायाधीश डी.एन. पटेल और न्यायमूर्ति सी. हरिशंकर की अगुवाई वाली पीठ के समक्ष इस मामले को पेश किया गया, जिन्होंने गुरुवार को इस मामले पर सुनवाई के लिए सहमति दी।
सीएए के खिलाफ मद्रास विश्वविद्यलय के छात्रों का धरना जारी
मद्रास यूनिवर्सिटी के छात्रों ने बुधवार को नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ लगातार दूसरे दिन धरना प्रदर्शन जारी रखा है। एम.ए. (राजनीति शास्त्र) के द्वितीय वर्ष के छात्र के. कार्तिकेयन ने आईएएनएस को बताया, “करीब 25 छात्र सीएए के विरोध में मद्रास यूनिवर्सिटी के परिसर के अंदर हैं। प्रदर्शनकारी छात्र विभिन्न विभागों से संबंधित हैं। हमने दूसरे विभागों के छात्रों से भी विरोध प्रदर्शन में भाग लेने के लिए कहा है।”
उन्होंने कहा कि पुलिस कल रात परिसर से तब बाहर चली गई, जब छात्रों ने उन्हें बताया कि वे सोने जा रहे हैं। कार्तिकेयन ने कहा, “आज पुलिस विश्वविद्यालय परिसर के बाहर है।” मंगलवार रात सीएए के खिलाफ लगभग 60 छात्र प्रदर्शन कर रहे थे।
कार्तिकेयन ने कहा, “कुछ छात्र घर चले गए थे और यहां वापस आएंगे। यहां पांच लड़कियां हैं। विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने हमारे उपयोग के लिए शौचालय खोले हैं। हमें अभी भी विरोध करने वाले छात्रों के लिए भोजन की व्यवस्था करने के बारे में सोचना है।”
इस बीच, मद्रास यूनिवर्सिटी ने 23 दिसंबर तक की छुट्टी घोषित कर दी है। इससे पहले, विश्वविद्यालय ने क्रिसमस और नए साल के सीजन के कारण 24 दिसंबर से एक जनवरी के बीच छुट्टी घोषित की थी।
सीएए को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को जारी किया नोटिस
सर्वोच्च न्यायालय ने नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 को चुनौती देने वाली दलीलों के एक बैच पर केंद्र को नोटिस जारी किया। मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति सूर्य कांत की खंडपीठ ने नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 के कार्यान्वयन को रोकने से इनकार कर दिया है। सर्वोच्च न्यायालय का कहना है कि वह जनवरी में याचिकाओं पर सुनवाई करेगा।
अधिनियम के विरोध में सुप्रीम कोर्ट में 60 याचिकाएं दायर हैं। केंद्र कानून की वैधता पर एक हलफनामा दाखिल करेगा और कानून पर स्थगन की मांग करने वाले याचिककर्ताओं की याचिकाओं के जवाब भी देगा।
संक्षिप्त सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं के वकील ने कोर्ट में तर्क दिया कि कानून में दिए गए नियम अभी बनाए जाने हैं। कुछ वकीलों ने कहा कि इसके नियम अभी बने नहीं हैं तो कानून पर स्थगन का कोई सवाल नहीं उठता है।
सीजेआई बोबडे ने अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल से कहा कि, वकील अश्विनी उपाध्याय ने “असामान्य अनुरोध” किया है। वो कहते हैं कि उन्होंने जामिया का दौरा किया और लोगों को नागरिकता अधिनियम के बारे में पता नहीं है, क्या आप नागरिक संशोधन अधिनियम को सार्वजनिक कर सकते हैं? जिसका जवाब देते हुए एजी वेणुगोपाल ने कहा कि “सरकारी अधिकारी अधिनियम प्रकाशित कर सकते हैं”।
सीएए के विरोध में बिहारा बंद को लेकर महागठबंधन एकमत नहीं
नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के विरोध में बिहार के करीब सभी प्रमुख विपक्षी दल सड़कों पर हैं। अधिनियम के विरोध में कई दलों ने ‘बिहार बंद’ का आवाह्न भी किया है, परंतु विपक्षी दलों के महागठबंधन में इस आंदोलन को लेकर अभी एकराय नहीं बन सकी है। ‘बिहार बंद’ को लेकर इससे पहले ही विपक्ष दो फाड़ हो गया है। सीएए को लेकर वाम दलों ने जहां 19 दिसंबर को बंद का आवाह्न किया है, वहीं राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने 21 दिसंबर को ‘बिहार बंद’ की अपील की है। दीगर बात है कि अब दोनों दल बंद का आह्वान सबसे पहले करने का दावा कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि सीएए के विरोध में राजधानी पटना में महागठबंधन के बड़े नेताओं ने ‘बिहार बंद’ को लेकर आम सहमति के लिए बैठक भी की, जिसमें राजद समेत अन्य विपक्षी दलों के नेताओं ने भाग भी लिया। परंतु महागठबंधन में ‘बिहार बंद’ को लेकर सहमति नहीं बन पाई। वाम दल और राजद अपनी-अपनी तिथियों पर ‘बिहार बंद’ को लेकर अड़े हुए हैं।
इस बीच पूर्व सांसद पप्पू यादव की जन अधिकार पार्टी और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की हिंदुस्तान अवाम पार्टी ने 19 दिसंबर के ‘बिहार बंद’ का समर्थन करने का फैसला किया है। इधर कांग्रेस ने दोनों धड़ों से दोस्ती निभाते हुए 19 और 21 दिसंबर के बंद को अपना समर्थन देने की घोषणा की है। सूत्रों का कहना है कि वाम दलों ने तेजस्वी यादव के नेतृत्व में ‘बिहार बंद’ में शामिल होने से इंकार कर दिया है।
इस बीच, दो दिनों के लिए वाम दल और राजद के अलग-अलग तर्क हैं। वामदलों का कहना है कि उनकी ओर से पूर्व में ही 19 दिसंबर को ‘बिहार बंद’ का आवाह्न किया गया है, इसमें अब फेरबदल संभव नहीं है। वामपंथी दलों के नेताओं ने हालांकि यह भी कहा है कि राजद के बंद को भी उनका नैतिक समर्थन है।
महागठबंधन के नेता इसे दो फाड़ मानने को तैयार नहीं हैं। राजद के मृत्युंजय तिवारी कहते हैं, “महागठबंधन में शामिल सभी दल सीएए और एनआरसी के विरोध में हैं। दलों के अपने-अपने कार्यक्रम हैं। इसमें दो फाड़ वाली बात कहां है। महागठबंधन में शामिल सभी दलों का मकसद एक है।”
बसपा प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की
नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और इस मामले को लेकर हो रहे हिंसक विरोध प्रदर्शनों को लेकर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के एक प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व बसपा के राष्ट्रीय सचिव सतीश चंद्र मिश्रा और संसदीय दल के नेता दानिश अली ने किया। उन्होंने मुलाकात कर राष्ट्रपति के नाम एक ज्ञापन सौंपा। बसपा नेताओं ने जामिया मिलिया इस्लामिया में रविवार को हुई हिंसा की घटना की न्यायिक जांच की मांग की। प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति से विवादास्पद नागरिक संशोधन अधिनियम को निरस्त करने की भी मांग की।
उन्होंने आरोप लगाया कि नागरिकता संशोधन अधिनियम भारत के संविधान के खिलाफ है और यह धारा 14 और 21 का उल्लंघन करता है। दानिश अली ने आईएएनएस से कहा, “हम इस कानून का विरोध करते हैं, क्योंकि यह भारत के संविधान के बुनियादी ढांचे की मूल भावना का उल्लंघन करता है।”
उन्होंने आगे कहा, “संविधान के प्रस्तावना में समानता पर जोर दिया गया है। इसमें कहा गया है कि जाति, पंथ और धर्म पर कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता है। जबकि यह कानून धर्म के आधार पर नागरिकता प्रदान करता है। इसलिए, हम इस अधिनियम को निरस्त करने की मांग करते हैं।”
जामिया मिलिया इस्लामिया में रविवार को हुई हिंसा की घटना पर चिंता प्रकट करते हुए दानिश ने कहा, “मैं जामिया का छात्र रहा हूं। मैंने राष्ट्रपति जी से अनुरोध किया कि वह लाइब्रेरी में पढ़ने वाले छात्रों के खिलाफ हुई बर्बरता की जांच के लिए उच्चस्तरीय जांच का आदेश दें। इस घटना से विश्वविद्यालय के बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचा है।”
उन्होंने कहा, “मैं अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का कोर्ट सदस्य भी हूं और राष्ट्रपति जी वहां के विजिटर हैं। पुलिस हॉस्टल में गई और वहां उसने बर्बता की। इसलिए हमने दोषियों के खिलाफ एक उच्चस्तरीय न्यायिक जांच की मांग की है।”
डीएमके अध्यक्ष एम के स्टालिन की अध्यक्षता में सर्वदल बैठक
नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 पर चेन्नई में डीएमके मुख्यालय में ऑल पार्टी मीटिंग चल रही है। बैठक की अध्यक्षता डीएमके अध्यक्ष एमके स्टालिन ने की थी।
चेन्नई में सर्वदलीय बैठक के बाद डीएमके अध्यक्ष स्टालिन ने कहा कि हमने केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 के निरसन के लिए एक प्रस्ताव पारित किया है। हम 23 दिसंबर को इस अधिनियम के खिलाफ चेन्नई में एक रैली करेंगे।
जामिया हिंसा में तथ्य खोज और घायलों की चिकित्सा के लिए दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर
दिल्ली उच्च न्यायालय में जामिया मिलिया विश्वविद्यालय (दिल्ली) की घटना से निपटने के लिए एक तथ्य खोज समिति गठित करने की मांग और घटना के दौरान घायल हुए छात्रों को चिकित्सा सहायता प्रदान करने के लिए एक सार्वजनिक याचिका दायर की गई है।
उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हिंसक विरोध प्रदर्शन के बाद धारा 144 लागू, रात भर चली छापेमारी
नागरिकता संशोधान कानून के विरोध में मंगलवार को कई घंटे हुए हिंसक प्रदर्शन के बाद दिल्ली पुलिस ने उत्तर-पूर्वी जिले में बुधवार को धारा-144 लागू कर दी है। धारा-144 लागू होने के बाद से इलाके में चार या इससे अधिक संख्या में लोग एक जगह इकट्ठे नहीं हो सकेंगे।
यह कदम पुलिस ने एहतियातन उठाया है, ताकि फिर किसी बबाल की कहीं कोई योजना न बनाई जा सके। विरोध प्रदर्शन के चलते दिल्ली के कई इलाकों में ट्रैफिक जाम की समस्या पैदा हो गई है। जाम से बचने के लिए दिल्ली पुलिस ने अपने ट्विटर हैंडल पर बाकायदा सलाह जारी किए हैं।
उत्तर पूर्वी दिल्ली जिले में धारा 144 लागू किए जाने की पुष्टि दिल्ली पुलिस प्रवक्ता अनिल मित्तल ने बुधवार को आईएएनएस से की। उन्होंने कहा, “धारा 144 लागू करने की प्रमुख वजह शांति व्यवस्था बनाए रखना है। इसके लागू होने से इलाके में लोगों की भीड़ जगह-जगह इकट्ठा नहीं होगी। अगर धारा-144 वाले इलाके में कहीं फिर भी कुछ लोग एकत्रित पाए या देखे गए तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई के लिए पुलिस स्वतंत्र है।”
उल्लेखनीय है कि यह कदम मंगलवार को जिले में हुए हिंसक विरोध प्रदर्शन के बाद उठाया गया है।
दूसरी ओर मंगलवार को दिन में उपद्रव मचाने वालों की धरपकड़ के लिए रात भर पुलिस की टीमें इलाके में छापेमारी करती रहीं। कुछ लोगों को हिरासत में भी लिया गया है। इसके साथ ही पुलिस ने सीलमपुर और जाफराबाद थाने के बाद एक तीसरी एफआईआर भी देर रात दर्ज की है। यह एफआईआर ब्रिजपुरी थाने में दर्ज की गई है।
मंगलवार-बुधवार की रात पुलिस की टीमें इलाके की गली-गली में गश्त करती रहीं। बुधवार सुबह वेलकम, सीलमपुर, शास्त्री पार्क, जाफराबाद, सीमापुरी आदि इलाकों में जन-जीवन सामान्य देखने को मिला। बुधवार सुबह इलाके में पहुंची आईएएनएस की टीम ने मंगलवार को हुए बबाल की चर्चा भी इलाके के गली-मुहल्लों में होती देखी-सुनी।
सीलमपुर, जाफराबाद और बृजपुरी हिंसा में 3 मामले दर्ज, अबतक 6 गिरफ्तार
नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 के विरोध में दिल्ली के उत्तर-पूर्व इलाके में हुए प्रदर्शन के दौरान हिंसा और आगजनी के मामले में मंगलवार देर रात तीन प्राथमिकियां दर्ज की गई हैं और छह लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। संयुक्त पुलिस आयुक्त आलोक कुमार ने आईएएनएस से कहा, “हमने हिंसा और आगजनी के तीन मामले दर्ज किए हैं। पहला मामला सीलमपुर हिंसा, दूसरा मामला जाफराबाद और तीसरा मामला बृजपुरी में दर्ज किया है।”
आलोक कुमार ने कहा कि उन्होंने हिंसा के मामले में सीलमपुर और जाफराबाद से पांच लोगों और बृजपुरी से एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने आगजनी, दंगा फैलाने, सार्वजनिक संपत्ति को क्षतिग्रस्त करने, गैर कानून तरीके से इकट्ठे होने और नुकसान करने के मामले दर्ज किए तथा सीलमपुर से पांच लोगों को गिरफ्तार किया। पुलिस अधिकारी ने आगे कहा कि उन्होंने लगभग दो दर्जन ऐसे अराजक तत्वों को चिह्नित किया है, जो हिंसा और सार्वजनिक संपत्तियों में आग लगाने की घटनाओं में शामिल थे।
मंगलवार को सीलमपुर में उपजी हिंसा में 12 पुलिसकर्मियों और कुछ बच्चों समेत कुल 34 लोग घायल हुए। पुलिस ने यह भी दावा किया कि रैपिड एक्शन फोर्स (आरएएफ) के तीन कर्मी भी घायल हुए हैं। एक पुलिसकर्मी को पीटा गया और उसका वायरलेस सेट छीन लिया गया।
पुलिस ने अभी भी यही कहा कि कोई गोलीबारी नहीं की गई है, सिर्फ आंसूगैस के गोले छोड़े गए। हिंसक विरोध प्रदर्शन के दौरान दो सार्वजनिक बसें, एक आरएएफ बस और कुछ बाइकें क्षतिग्रस्त हुई हैं। सीलमपुर क्षेत्र में प्रदर्शनकारियों ने कई बाइकों को आग लगा दी, पुलिसकर्मियों पर पत्थरबाजी की और बसों तथा पुलिस बूथ को क्षतिग्रस्त कर दिया।
दोपहर बाद तक स्थिति पुलिस के नियंत्रण में आने के बावजूद क्षेत्र में देर रात तक छिटपुट घटनाएं सामने आती रहीं। दंगाइयों ने यात्रियों को ले जा रही दो बसों पर भी पत्थरबाजी की, जिसमें कम से कम छह यात्री और एक दर्जन पुलिसकर्मी घायल हो गए। दंगाइयों ने बच्चों को ले जा रही स्कूल बस को भी निशाना बनाया, लेकिन पुलिस ने बस में सवार बच्चों को उतरवाने में मदद कर उन्हें सुरक्षित निकाल दिया।
सीएए हिंसक विरोध के बाद एहतियातन तौर पर दिल्ली मेट्रो के दो स्टेशनों के गेट बंद
उत्तर-पूर्वी दिल्ली के कुछ हिस्सों में मंगलवार को हिंसा होने के बाद दिल्ली मेट्रो ने एहतियातन अपने दो स्टेशनों के गेट बंद कर दिए हैं। ये दो स्टेशन जाफराबाद और मौजपुर-बाबरपुर हैं। हालांकि इस मार्ग पर ट्रेनों का परिवहन सामान्य है।
दिल्ली मेट्रो रेल कार्पोरेशन (डीएमआरसी) ने ट्वीट किया, “जाफराबाद और मौजपुर-बाबरपुर के प्रवेश और निकास द्वार बंद हैं। हालांकि मौजपुर पर शिव नगर के लिए इंटरचेंज सुविधा जारी है।”
डीएमआरसी ने कहा कि सभी स्टेशनों और मार्गो पर रेल सेवा सामान्य रूप से चल रही है।
नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के मुद्दे पर सीलमपुर और जाफराबाद में मंगलवार को हिंसा के बाद तनाव फैल गया था।