राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में इस वर्ष नए साल का स्वागत कुछ अलग ही तरह हुआ। नव वर्ष की पूर्व संध्या पर युवा पार्टी में जाना छोड़ और बुजुर्ग घर में आरम से बैठकर टीवी देखने की जगह बड़ी संख्या में दिल्ली के शाहीन बाग इलाके में एकत्रित हुए। यहां हजारों लोगों ने नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरोध में प्रदर्शन करते हुए, राष्ट्रगान गाकर नए साल का स्वागत किया।
इस दौरान कई लोग ठिठुरने वाले सर्दी से बचने के लिए प्रदर्शनकारियों को चाय पिलाते नजर आए। प्रदर्शन स्थल पर लगे त्रिपाल शेड के नीचे मंच पर वक्ताओं को सुनने के लिए लोगों भी भीड़ जमा रही।
प्रदर्शन के दौरान कई लोग राष्ट्रीय झंडे लहराते हुए घूमते रहे, जबकि अन्य ने नए नागरिकता कानून के खिलाफ रचनात्मक तख्तियां दिखाईं और “आज़ादी, आज़ादी” के नारे चिल्लाए।
This is how Jamia welcomes new year, Happy New Year
Welcome 2020 #JamiaProtests #happynewyear2020 pic.twitter.com/jz0TVbwFff— MD Yusuf Mushtaque (@yusuf_mushtaque) January 1, 2020
रात के 12 बजते ही वहां मौजूद भीड़ ने पुरे उत्साह के साथ साथी प्रदर्शनकारियों को नए साल की बधाई दी और कुछ ही क्षणों में एक स्वर में राष्ट्रगान गाया। जिसके बाद “इंकलाब जिंदाबाद” के नारे लगाए गए।
शाहीन बाग में हजारों की संख्या में दिल्ली के विभिन्न हिस्सों से आए लोगों के बीच युवा कामकाजी पेशेवरों का भी एक समूह था। जिसमें से एक निजी कंपनी में कार्य करने वाले 30 वर्षीय व्यक्ति ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा कि, ‘ बेशक, मैं नए साल की संध्या पर जश्न मना रहा होता, अगर स्थिति सामान्य होती।
व्यक्ति का नाम पूछे जाने पर, उन्होंने नाम नहीं बताने का अनुरोध किया और कहा, “मैं नहीं चाहता कि मुझे यहां किसी भी धर्म के साथ पहचाना जाए। यह एक बड़े कारण के लिए है, यह नागरिकता संशोधन अधिनियम और नागरिकों के राष्ट्रीय रजिस्टर का विरोध करने के लिए है।”
एक दिल्ली आधारित कलाकार, जिसने खुद की पचान “फूल कुमारी” के रूप बताई। उन्होंने दक्षिण भारत के कुछ कलाकारों की गिरफ्तारी के खिलाफ मंच का इस्तेमाल किया। जिन्हें हाल ही में पुलिस ने उनके सीएए विरोधी कोल्लम बनाने पर पकड़ लिया था।
26 वर्षीय कलाकार आयोजन स्थल पर प्रदर्शनकारियों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले पोस्टर पर चाक से कैप्शन लिखते हुए ने कहा, “हम ऑरवेलियन वास्तविकता पर जी रहे हैं। मूर्खता नई सामान्य बात है। सरकार अपनी क्रूर शक्ति का गलत तरह से इस्तेमाल कर रही है। कला, और विरोध, आम तौर पर नागरिकों के खिलाफ नहीं होना चाहिए।”
स्थानीय पुरुष और महिलाएं भी रात के 12 बजे तक मैदान में प्रदर्शनकारियों के साथ सीएए विरोध में एक जुटता दिखाने के लिए डटे रहे।
बता दें, जामिया मिलिया इस्लामिया के पास शाहीन बाग, 15 दिसंबर से सीएए और एनआरसी का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों के लिए विरोध स्थल रहा है।