नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में हुई हिंसा में मारे गए पीड़ित के घर जा रहे रालोद के राष्ट्रीय महासचिव जयंत चौधरी को मेरठ-मुजफ्फरनगर मार्ग पर खतौली बाईपास के नजदीक रोक दिया गया। चौधरी को रोके जाने के विरोध में कार्यकर्ताओं ने गंग नहर के पुल पर धरना दिया और रास्ता जाम किया।
जयंत चौधरी को प्रशासन ने वापस भेजा। हालांकि इस दौरान जयंत चौधरी अपनी कार में ही बैठे रहे। उन्होंने कहा कि मुजफ्फरनगर उनका घर है। वह अपने घर जा रहे थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें जाने से रोक दिया।
रालोद के राष्ट्रीय महासचिव जयंत चौधरी नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शन में मुजफ्फरनगर में हुई हिंसा में मारे गए नूरा के परिजनों से मिलने जा रहे थे। खतौली में ही पुलिस प्रशासन ने जयंत चौधरी रोक लिया और वापस लौटा दिया। जयंत चौधरी को रोकने से रालोद कार्यकर्ताओं ने हंगामा किया और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। एसपी सिटी व सिटी मजिस्ट्रेट अतुल कुमार से कार्यकर्ताओं की नोकझोंक भी हुई।
शुक्रवार को हुए उपद्रव के चलते रहमतनगर खालापार निवासी नूरा की गोली लगने से मौत हो गई थी। नूरा के परिवार से मिलने के लिए जयंत चौधरी का आज घर जाने का कार्यक्रम था। लेकिन शहर से बाहर ही मुजफ्फरनगर के खतौली बाईपास पर पुलिस ने जयंत चौधरी और उनके कार्यकर्ताओं को रोक लिया।
जयंत ने कहा कि हिंसा का शिकार हुए लोग उनके भाई-बहन हैं, और वह उनसे मिलने जा रहे थे। मृतक के परिजनों से मुलाकात करना चाहते थे, उनका दुख-दर्द बांटना चाहते थे। लेकिन पुलिस का कहना है कि स्थिति अभी तनावपूर्ण बनी हुई है। इसलिए उन्हें वहां नहीं जाने दिया जा सकता है।
जयंत चौधरी से पहले जिला प्रशासन ने कांग्रेस के फायर ब्रांड नेता इमरान मसूद समेत कांग्रेसी नेताओं को मृतक नूरा के घर जाने से रोक दिया था। कांग्रेस के प्रदेश महासचिव इमरान और प्रदेश उपाध्यक्ष व पश्चिमी उप्र प्रभारी पंकज मलिक को शहर में प्रवेश नहीं करने दिया गया।
ज्ञात हो कि इससे पहले मेरठ में मंगलवार को प्रियंका गांधी और राहुल गांधी के काफिले को शहर में प्रवेश करने से रोक दिया गया था।