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    जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय और दक्षिण-पूर्वी जिले के जामिया इलाके में रविवार को जब बसों को फूंका जा रहा था, बेकसूरों पर अंधाधुंन पथराव हो रहा था, सरकारी और निजी वाहनों को आग में झोंका जा रहा था, उस वक्त ‘पुलिस कमिश्नर अमूल्य पटनायक द्वारका-जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में दो-तीन कार्यक्रमों में शामिल होने के बाद मौके पर पहुंचे थे। वह दो-ढाई घंटा इलाके में रहे भी। सीपी (पुलिस आयुक्त) साहब पब्लिक से मिले भी थे!’

    मंगलवार को यह बात आईएएनएस से दिल्ली पुलिस के अतिरिक्त प्रवक्ता और एसीपी अनिल मित्तल ने कही।

    अनिल मित्तल ने कहा, “जब सीपी साहब पहले कार्यक्रम में मौजूद थे तब जामिया में फसाद की कोई शुरुआत नहीं हुई थी। हां, सीपी साहब जब द्वारका इलाके में एक कार्यक्रम में पहुंचे तब जामिया में झगड़े की खबर मिली। सीपी साहब उसी वक्त मौके के लिए रवाना हो गए। वहां वे आम लोगों से भी मिले और बिगड़े माहौल को काबू करने के बारे में पुलिस अफसरों से भी बातचीत की।”

    इस बारे में आईएएनएस ने जब एडिशनल पीआरओ से पूछा कि पुलिस कमिश्नर किस किस इलाके में गए, और किन-किन जिम्मेदार लोगों से मिले?

    इस पर उन्होंने कहा, “बस इलाका लिख दो। इलाके के नाम से क्या लेना-देना।”

    पुलिस आयुक्त किन-किन जिम्मेदार लोगों से मिले? अतिरिक्त पुलिस प्रवक्ता ने उनके नाम भी बताने से इंकार कर दिया।

    पुलिस कमिश्नर किस वक्त से किस वक्त के बीच में घटनास्थल पर पहुंचे और मौजूद रहे? जैसे महत्वपूर्ण सवाल का जबाब देने से भी दिल्ली पुलिस के अतिरिक्त प्रवक्ता ने इंकार कर दिया। उन्होंने कहा, “बस इतना लिख दो, ‘सीपी साहब प्रभावित इलाकों में गए और सबसे मिले’।”

    सवाल उठता है कि पुलिस कमिश्नर अगर जलते हुए जामिया नगर और जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय परिसर व उसके आसपास के इलाके में पहुंचे, तो मौजूद तमाम मीडिया में कहीं उनकी कोई वीडियो या फोटो तो होनी चाहिए? दिल्ली पुलिस के अतिरिक्त प्रवक्ता के पास इसका कोई जबाब नहीं था।

    उल्लेखनीय है कि आईएएनएस ने सोमवार को उन तमाम तस्वीरों को प्रकाशित किया था, जिनमें जामिया इलाके के जलने के वक्त के आसपास के ही समय में दिल्ली पुलिस कमिश्नर अमूल्य पटनायक द्वारका इलाके में सामुदायिक पुलिस वाहन सेवा का उद्घाटन कर रहे थे। द्वारका इलाके में ही रविवार को शाम के वक्त उन्होंने सामुदायिक सेवा केंद्र का उद्घाटन भी किया था, जिसकी तस्वीरें बाकायदा सार्वजनिक हो चुकी थीं।

    सवाल यह भी है कि आखिर दिल्ली पुलिस कमिश्नर अमूल्य पटनायक जब मौके पर गए तो फिर मीडिया की भीड़ को वह बयान देने से कैसे और क्यों चूक गए? इतना ही नहीं आखिर यह कैसे संभव हो सकता है कि पुलिस कमिश्नर घटनास्थल पर पहुंचे हों फिर भी मीडिया से उनका सामना न हुआ हो? जब पहले से ही तय समयानुसार पुलिस कमिश्नर द्वारका के कार्यक्रमों में फीते काट कर जामिया इलाके में पहुंचे हों, फिर भी वह वक्त पर पहुंच गए..? आखिर यह कैसे संभव हो पाया होगा?

    अगर पुलिस कमिश्नर घटनास्थल पर गए तो फिर पूरे मामले को लेकर दिल्ली पुलिस प्रवक्ता मंदीप सिंह रंधावा को करीब 24 घंटे बाद अगले दिन यानी सोमवार को ही दिल्ली पुलिस मुख्यालय में मीडिया से मुखातिब होने की फुर्सत कैसे और क्यों मिल सकी? सब कुछ तो मौके पर घटना वाले दिन पुलिस कमिश्नर अमूल्य पटनायक ने ही क्यों नहीं मीडिया को बता दिया?

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