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    जामिया नगर में हुई हिंसा की पड़ताल अगर कायदे से पूरी कर ली गई, तो कई बड़े और चर्चित नाम इसकी तपिश में झुलस सकते हैं। मामले को लेकर जामिया नगर थाने में दर्ज एफआईआर तो यही साफ-साफ बयान कर रही है। कानूनी पचड़े में फंसने वालों में सबसे आगे नाम होगा दिल्ली के एक पूर्व विधायक (एमएलए), आइसा के एक पदाधिकारी/सदस्य, आम आदमी पार्टी की सीवाईएसएस स्टूडेंट विंग का एक पदाधिकारी और एक पदाधिकारी/सदस्य एसआईओ का।

    जामिया नगर थाने में दर्ज एफआईआर नंबर 0298 तो इस ओर साफ-साफ इशारा कर रही है। यह एफआईआर जामिया नगर थाने के एसएचओ उपेंद्र सिंह के बयान पर 16 दिसंबर 2019 को दर्ज कराई गई है, जबकि घटनास्थल जामिया मिलिया विवि का गेट नंबर 4,7,8 के बाहर मौलाना मोहम्मद अली जौहर मार्ग दर्ज है। आईएएनएस के पास मौजूद इस एफआईआर में जिन लोगों का नाम बतौर मुलजिम दर्ज है उनमें, सबसे पहला नाम अबुल फजल जामिया नगर निवासी किसी आशू खान का है। एफआईआर में आशू को स्थानीय नेता बताया गया हैं।

    दूसरा नाम मुस्तफा का है। यह भी लोकल पॉलिटिशीयन ही बताया गया है। तीसरे नंबर पर स्थानीय नेता और मुलजिम के रूप में अबुल फजल निवासी हैदर का नाम दर्ज है। जामिया नगर थाने में दर्ज इस एफआईआर में चौथा और महत्वपूर्ण नाम है दिल्ली के पूर्व विधायक आसिफ खान का नाम। इन पर भी दंगा भड़काने, भीड़ को उकसाने, सरकारी कामकाज में बाधा डालने , पुलिस पर हमला करने कराने का आरोप है। एफआईआर में पांचवे नंबर पर आईसा के चंदन कुमार (जामिया विवि) का नाम है। चंदन कुमार के पते की जगह एफआईआर में जामिया विवि, जामिया नगर ही दर्ज किया गया है।

    छठा नाम आसिफ तन्हा का है। आसिफ तन्हा के पते की जगह पर भी जामिया विवि ही दर्ज है, जबकि एफआईआर में दर्ज अंतिम मुलजिम के रूप में जामिया विवि सीवाईएसएस के कासिम उस्मानी का नाम लिखा गया है। यह एफआईआर जामिया नगर थाने के एसएचओ के बयान पर दर्ज की गई है। एसएचओ ने एफआईआर में लिखवाया है कि, दो दिन से इलाके में कुछ लोग स्टूडेंट्स के साथ मिलकर हल्का-फुल्का विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। रविवार 15 दिसंबर को दोपहर के करीब 3 बजे पूर्व एमएलए आसिफ खान और उनके साथ मौजूद आशू खान, मुस्तफा, हैदर, आसिफ तन्हा, चंदन कुमार, कासिम उस्मानी छात्रों के बीच में घूम-घूमकर नारेबाजी करने लगे। वे सब छात्रों को दो-तीन दिन से भड़का रहे थे। कैब और एनआरसी के विरोध में छात्रों की भीड़ को उकसा रहे थे।

    दर्ज एफआईआर के मुताबिक, इन्हीं सब मुलजिमान के भड़काने के चलते रविवार 15 दिसंबर को डीटीसी की कई बसों में आग लगा दी गई। कई अन्य वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया। इसी भीड़ ने सराय जुलेना इलाके में मौजूद पुलिस बूथ को निशाना बना डाला। जब इन सबको रोकने की कोशिश की गई, तो भीड़ के साथ यह सब लोग ‘मीडिया गो-बैक’, ‘पुलिस गो-बैक’ के नारे लगाने लगे।

    एफआईआर में दर्ज एसएचओ जामिया नगर के बयान के मुताबिक, “मैने (एसएचओ जामिया नगर) भीड़ को समझाने की कोशिश की। इसके बाद भी जामिया यूनिवर्सिटी के सामने मौजूद भीड़ ने पुलिस पर पथराव करना शुरू कर दिया। बेकाबू भीड़ को नियंत्रित करने के लिए सीनियर अफसरान के हुक्म पर पुलिस पार्टियों ने भी आंसू गैस के गोले छोड़े। आंसू गैस भीड़ को तितर बितर करने के उद्देश्य से छोड़े गए। कुल 52 आंसू गैस के गोले इस कोशिश में चलाए गए। मौके पर 7वीं बटालियन का फोर्स भी बुलाना पड़ा। मजबूरी में एसएचओ कालका जी, सनलाइट कालोनी, बदरपुर, अमर कालोनी, कालिंदी कुंज और लाजपत नगर को भी मौके पर बुलाना पड़ा।”

    एफआईआर में दर्ज एसएचओ जामिया नगर के बयान के मुताबिक, “इन तमाम इंतजामों के बाद भी उग्र भीड़ पुलिस पार्टियों पर हमले करती रही। मौके पर मदद के लिए बुलाई गई कैट्स की एंबुलेंस भी भीड़ द्वारा तबाह कर दी गई। बदतर हालातों में यूनिवर्सिटी के भीतर मौजूद छात्रों को ब-हिफाजत निकालने के लिए मजबूरन पुलिस को यूनिवर्सिटी कैंपस में जाना पड़ा। तब भी भीड़ पुलिस पर पथराव करती रही। प्रदर्शनकारी मरने मारने पर उतारू थे। प्रदर्शनकारियों का पीछा करते हुए पुलिस जब कब्रिस्तान चौक पर पहुंची तो देखा कि, पुलिस बूथ को भीड़ आग के हवाले कर चुकी थी। इसी तरह जाकिर नगर ढलान और तिकोना पार्क वाले पुलिस बूथ भी बर्बाद हो चुके थे।”

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