नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ जामिया में चल रहे छात्र आंदोलन को स्थानीय लोगों ने पूरी तरह हाईजैक कर लिया। इस विरोध प्रदर्शन में जहां पहले दिन रविवार को जामिया के छात्रों की अहम भूमिका रही, वहीं दूसरे दिन सोमवार को छात्रों की संख्या बेहद कम थी।
विश्वविद्यालय परिसर में जहां-तहां स्थानीय लोग, दुकानदार व बाहर से आए अन्य लोग दिखाई दिए। सोमवार को दिनभर छात्र-छात्राओं के हॉस्टल खाली करने का सिलसिला जारी रहा। अनेक छात्र-छात्राएं अपना सामान लेकर परिजनों के साथ या फिर अकेले जामिया विश्वविद्यालय से चले गए। हॉस्टल से सामान लेकर बाहर निकल रही एक छात्रा आलिया इशरत ने आईएएनएस को बताया बताया कि वह इस पूरे माहौल से बहुत डर गई है और अब अपने रिश्तेदारों के साथ अपने गांव अररिया (बिहार) जा रही है।
वहीं हॉस्टल से अपना सामान लेकर बाहर आई एक अन्य छात्रा तस्लीम ने आईएएनएस को बताया कि उन्होंने हॉस्टल छोड़ दिया। तस्लीम ने बताया कि उनकी ज्यादातर साथियों ने हॉस्टल छोड़ दिया है।
ये लोग या तो दिल्ली में रहने वाले अपने रिश्तेदारों के घर, या फिर अपने-अपने पैतृक निवास चले गए हैं। छात्राओं का कहना था कि विश्वविद्यालय पांच जनवरी तक बंद है और यहां हंगामे की स्थिति बनी हुई है, ऐसे में वे यहां नहीं रहना चाहतीं।
वहीं, छात्रों के हॉस्टल छोड़ने के बावजूद जामिया नगर बाटला हाउस व आसपास के इलाकों में रहने वाले स्थानीय लोग धरना-प्रदर्शन करते रहे और नारेबाजी करते रहे। प्रदर्शन के दौरान इन लोगों ने कुछ मीडियाकर्मियों पर हमला भी किया। इस हमले में एक कैमरामैन की आंख पर चोट आई है।
सबसे ज्यादा हंगामा जामिया के गेट नंबर 7 के बाहर हुआ। यहां कुछ छात्र व बड़ी संख्या में स्थानीय लोग विरोध जताने के लिए सुबह से मौजूद रहे। यहां मौजूद प्रदर्शनकारियों ने शाम की नमाज भी विश्वविद्यालय परिसर के बाहर सड़क पर अदा की।
शाम होते-होते प्रदर्शनकारियों ने सड़क के दोनों ओर पत्थर व सीमेंट के बड़े पाइप लगाकर रास्ता बंद कर दिया।