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    अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एमएयू) के विद्यार्थियों और शिक्षकों द्वारा नागरिकता कानून को लेकर परिसर में हुए प्रदर्शन के दौरान पुलिस कार्रवाई का समर्थन करने वाले कुलपति और कुलसचिव के निष्कासन का दावा किए जाने के 24 घंटे से भी कम समय के दौरान छात्र समुदाय बंटा हुआ नजर आने लगा है। कुलपति और रजिस्टरार का समर्थन करने वाले छात्रों के एक वर्ग ने कहा कि उनके ‘निष्कासन’ की खबर गलत है।

    वहीं छात्रों का दूसरा समूह कुलपति और रजिस्टरार के निष्कासन के अपने रूख पर कायम है।

    हालांकि दोनों समूह ने अपना सामने सार्वजनिक करने से मना कर दिया।

    कुलपति का समर्थन कर रहे एक छात्र से पूछे जाने पर उसने कहा, “यह गलत खबर है। संकाय के सदस्यों और छात्रों की कोई बैठक नहीं हुई है, बल्कि परिसर लगभग खाली हो चुका है, क्योंकि 15 दिसंबर को एएमयू के बंद होने के बाद छात्रावास के कई छात्र जा चुके हैं। सिवाय इसके क्या छात्र और शिक्षकों के पास यह अधिकार है कि वे एक कुलपति को निष्कासित कर सकें?”

    छात्र ने अपना नाम न बताने का अनुरोध किया, ताकि बाद में छात्रों का दूसरा पक्ष उसे निशाना न बनाए।

    वहीं छात्रों के दूसरे समूह ने अपने रुख पर कायम होते हुए कहा कि निष्कासन पत्र वास्तविक था, और वह उनके एएमयू अथॉरिटी के खिलाफ अभिव्यक्ति का नतीजा था, जिन्होंने छात्रों पर हुए पुलिस कार्रवाई का विरोध तक नहीं किया।

    एक छात्र ने कहा, “हम जानते हैं कि हम वीसी या रजिस्ट्रार को निष्कासित नहीं कर सकते हैं, लेकिन उनके प्रति हमारे मन में जरा भी सम्मान नहीं है, क्योंकि वह हमारे साथ खड़े नहीं हुए। हम जामिया के छात्रों के समर्थन में शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे और उस दौरान पुलिस कार्रवाई का कोई अर्थ नहीं था। एएमयू के 6 जनवरी को फिर खुलने के बाद हम कुलपति के खिलाफ अपना आंदोलन फिर शुरू करेंगे।”

    वहीं इस छात्र ने अपना नाम इसलिए नहीं बताने का अनुरोध किया कि कहीं पुलिस उन्हें निशाने पर न लें।

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