देश में नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरोध और समर्थन में अभी भी जगह-जगह प्रदर्शन जारी हैं। सीएए का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों को डर है कि केंद्र सरकार का यह कानून अखिल भारतीय एनआरसी द्वारा चिन्हित गैर प्रवासियों को ढाल देगा और बड़ी संख्या में भारतीय मुसलमानों को बेघर कर देगा। वहीं दूसरी तरफ केंद्र सरकार ने अखिल भारतीय एनआरसी पर यू-टर्न लेते हुए कहा है कि अभी इसकी कोई चर्चा नहीं है। पिछले कुछ दिनों से देश के विभिन्न हिस्सों में चल रहे सीएए विरोधी प्रदर्शनों में दर्जनों लोग अपनी जान गवां चुके हैं। जिसमें सबसे अधिक संख्या में उत्तर प्रदेश के निवासी थे।
सोमवार को सीएए को लेकर राजधानी दिल्ली में युवा कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया था। वहीं डीएमके नेताओं ने कोलम के जरिए सीएए का विरोध किया। इस बीच भाजपा नेताओं ने विपक्ष पर देश का माहौल खराब करने का आरोप लगाया और कांग्रेस को आगे आकर सीएए को स्वीकार करने की बात कही थी।
सीएए के विरोध में यूएई के भारतीय प्रवासियों नें भारतीय दूतावास को ज्ञापन सौंपा
संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के भारतीय प्रवासियों ने विवादित नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) पर चिंता जताते हुए भारतीय दूतावास को एक ज्ञापन सौंपा है, जिसमें कहा गया है कि यह ‘विभाजनकारी समाज को बढ़ावा देता है।’ भारतीय समुदाय के 30 लोगों ने रविवार को दूतावास में अधिकारियों से मिलकर सीएए के खिलाफ अपना विरोध जताया।
‘लेटर ऑफ आपजिशन टू सीएए’ को सौंपने के बाद अबूधाबी के निवासी अब्दुल्ला खान ने गल्फ न्यूज से बात करते हुए कहा, “मैं भारत में अपने परिवार के बारे में चिंतित हूं। मैंने उन्हें उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ में कॉल करने की कोशिश की, लेकिन नहीं कर सका, क्योंकि सीएए को लेकर विरोध प्रदर्शन के बाद संचार लाइनें और इंटरनेट बंद था।”
उन्होंने कहा, “यहां के भारतीय समुदाय ने समाज को बांटने वाले कानून को खत्म करने के लिए विनम्र अनुरोध करने का फैसला किया है, जिससे सभी धर्मो के लोग शांतिपूर्ण तरीके से रह सकें।”
इस पत्र में भारतीय अधिकारियों से ‘भेदभावपूर्ण, विभाजनकारी और असंवैधानिक अधिनियम’ को खत्म करने का भी आग्रह किया गया है।
महाराष्ट्र : कांग्रेस नेता ने कहा सभी राज्य सरकारों को विधानसभा का सत्र बुलाकर केंद्र से सीएए वापस लेने की मांग करनी चाहिए
महाराष्ट्र कांग्रेस नेता, आरिफ नसीम खान ने केरल विधानसभा द्वारा सीएए विरोधी प्रस्ताव पारित होने पर कहा कि, हम केरल सरकार के इस फैसले का स्वागत करते हैं। महाराष्ट्र में ठाकरे सरकार सहित सभी राज्य सरकारों को विधानसभा का सत्र बुलाना चाहिए, जिसमें केंद्र सरकार से नागरिकता संशोधन अधिनियम वापस लेने की मांग की जाए।
राजस्थान : बीजेपी विधायक ने कहा, सीएए को लेकर देश को जलाने वाले लोग पाकिस्तान या बांग्लादेश जाएं, कोई देश उन्हें नहीं चाहता तो हिंद महासागर में डूब जाएं
राजस्थान बीजेपी विधायक, मदन दिलावर ने सोमवार को कहा, जो लोग देश को जला रहे हैं और नागरिकता संशोधन अधिनियम के तहत पुलिस को मार रहे हैं, और जो लोग उनका समर्थन कर रहे हैं। वे देश के दुश्मन हैं, चाहे वह सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी या राहुल गांधी हों।
उन्होंने आगे कहा, ऐसे लोगों को इस देश में रहने का अधिकार नहीं है। अगर वे पाकिस्तान से प्यार करते हैं तो उन्हें वहां जाना चाहिए, अगर उन्हें बांग्लादेश से प्यार है तो उन्हें वहां जाना चाहिए, और अगर दोनों देश उन्हें नहीं चाहते हैं, तो वे हिंद महासागर में डूब सकते हैं।
उत्तर प्रदेश : उपमुख्यमंत्री ने कहा, राज्य में हिंसा के लिए पीएफआई जिम्मेदार, प्रतिबंध लगाया जाएगा
यूपी के उपमुख्यमंत्री, केशव प्रसाद मौर्य ने सीएए विरोध प्रदर्शनों के दौरान हुई हिंसा को लेकर कहा, राज्य में संपत्ति, आगजनी और अराजकता के सभी नुकसान के पीछे यह विशेष रूप से पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) था। ऐसे संगठनों को पनपने नहीं दिया जाएगा। उस पर प्रतिबंध लगाया जाएगा।
तमिलनाडु : चेन्नई में महिला कांग्रेस कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच झड़प, मदुरई में सीएए विरोध प्रदर्शन
तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में कांग्रेस प्रदेश कार्यालय में पुलिस और महिला कांग्रेस समर्थकों के बीच हाथापाई हो गई। जब वह रंगोली बनाकर नागरिकता संशोधन अधिनियम का विरोध कर रहे थे।
साथ ही तमिलनाडु के मदुरई में भी नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरोध में प्रदर्शन हुआ।
तमिल लेखक नेल्लई कन्नन के खिलाफ एफआईआर दर्ज
तिरुनेलवेली पुलिस ने 29 दिसंबर को सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया द्वारा बुलाए गए सीएए के खिलाफ विरोध सभा के दौरान अपने भाषण के लिए तमिल लेखक नेल्लई कन्नन के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। पुलिस ने उनके खिलाफ भाजपा नेताओं द्वारा की गई कई शिकायतों के आधार पर मामला दर्ज किया है।
राकांपा प्रमुख शरद पवार ने सीएए और एनआरसी के विरोध में ममता बनर्जी को समर्थन दिया
राकांपा प्रमुख शरद पवार ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्र लिखा है। उन्होंने राष्ट्रीय नागरिकों के रजिस्टर और नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरोध में अपना समर्थन दिया है।
उत्तर प्रदेश : अखिलेश यादव ने कहा, धर्म के आधार पर नागरिकता दे रही भाजपा, चाहती है मुसलमान न बने नागरिक
समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर मंगलवार को निशाना साधा और कहा कि भाजपा धर्म के आधार पर नागरिकता देना चाहती हैं, और वह चाहती है कि मुसलमानों का नागरिकता न मिले। अखिलेश मंगलवार को नागरिकता संशोधन कानून और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर व राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर के खिलाफ लखनऊ में साइकिल मार्च को हरी झंडी दिखा कर रवाना कर रहे थे।
अखिलेश ने इस दौरान कहा, “आप (भाजपा) नागरिकता धर्म के आधार पर देना चाहते हैं, आप चाहते हैं कि मुसलमानों को नागरिकता न मिले। भाजपा तुष्टिकरण की राजनीति कर रही है। क्या असम और पूर्वोत्तर के लोग इस कानून से खुश हैं? आधार में सब मौजूद है। समाजवादी पार्टी सीएए और एनआरसी और एनपीआर का विरोध करती है।” उन्होंने कहा कि “भारत की अर्थव्यवस्था का नाश हो गया है, और बैंकिग प्रणाली डूबा दिया। अपने लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए आप ऐसा कर रहे हैं।”
अखिलेश ने भगवा पर कहा, “पता नहीं कहां पर खलबली मची है। किसी का अधिकार थोड़े ही है। केवल रंग बदलने के लिए ऐसा किया जा रहा है। भगवा में ऐसा क्या है? पीताम्बर रंग भी है, लेकिन देश का रंग तिरंगा ही रहेगा। जाति के आधार पर जनगणना होनी चाहिए, ताकि आबादी के आधार पर सबको अधिकार मिले।”
अखिलेश ने कहा, “भाजपा नए साल में अपने पापों की माफी मांगे नहीं तो जनता सजा देगी आपको। पूरे यूपी की जनता जानती है कि कानून-व्यवस्था इनके हाथ में नहीं हैं। निवेश नहीं आ रहा है, इसलिए एनपीआर आ रहा है। निवेश नहीं आया, इसलिए एनआरसी आ रहा है। हमारे देश की पहचान खराब हो रही है, देश की बदनामी हो रही है। कोई ग्लोबल निवेश नहीं आएगा।”
साइकिल मार्च से सपा नेता विधान भवन पहुंचे। गौरतलब है कि अखिलेश यादव ने इसके पहले एनपीआर का विरोध करते हुए कहा था कि वह कोई फॉर्म नहीं भरेंगे। उन्होंने कहा था कि वह भारतीय हैं, और उन्हें इसका प्रमाण देने की जरूरत नहीं है।
उत्तर प्रदेश : डीजीपी ने गृहमंत्रालय से की पीएफआई प्रतिबंधित करने की मांग
यूपी डीजीपी ओपी सिंह ने गृह मंत्रालय को एक पत्र लिखकर ‘पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) पर प्रतिबंध लगाने का अनुरोध किया, क्योंकि जांच में 19 दिसंबर को हुए नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ हिंसक विरोध प्रदर्शन में पीएफआई की संलिप्तता पाई गई।’
केरल : विधानसभा से सीएए विरोधी प्रस्ताव पारित, एकमात्र भाजपा विधायक ने किया विरोध
साल के अंतिम दिन यह दुर्लभ क्षण था, जब पारंपरिक रूप से राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की अगुवाई वाले वाम मोर्चा और कांग्रेस की अगुवाई वाले संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा(यूडीएफ) ने केरल विधानसभा में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) को वापस लेने की मांग वाला एक प्रस्ताव पारित करने के लिए हाथ मिला लिया। इस मौके पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एकमात्र विधायक ओ.राजगोपाल ने प्रस्ताव का विरोध किया। सीएए पर चर्चा के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया था।
केरल के 140 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा का सिर्फ एक विधायक है।
चर्चा की शुरुआत करते हुए मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने कहा कि पूरा देश स्तब्ध है और सीएए के खिलाफ हर जगह प्रदर्शन हो रहा है।
विजयन ने कहा, “सीएए की पेंचीदगियों को लेकर दुनिया अचंभित है, जहां धर्म विभाजन का मानदंड है। इसे देखकर भारतीय प्रवासी सदमे की स्थिति में हैं। केरल में कोई डिटेंशन सेंटर नहीं है। भारत अपनी धर्मनिरपेक्षता के लिए जाना जाता है। किसी भी परिस्थिति में यह सीएए आगे नहीं बढ़ सकता है और इसलिए इसे वापस लिया जाना चाहिए।”
विजयन के प्रस्ताव पर अपनी कड़ी असहमति जाहिर करते हुए राजगोपाल ने कहा कि विधानसभा के पटल पर जो कुछ हो रहा है, वह असंवैधानिक है।
राजगोपाल ने कहा, “इस विधानसभा के लिए एक कानून के खिलाफ प्रस्ताव पारित करना कैसे संभव है। सीएए पहले ही कानून बन चुका है, सभी प्रक्रियाओं से गुजरने के बाद। यह सब अब एक पार्टी द्वारा किया जा रहा है, जिसने अतीत में देश को धर्म के आधार पर बांटा है। इसलिए यह कुछ नहीं सिर्फ राजनीतिक फायदा हासिल करने के लिए है।”
कांग्रेस के रमेश चेन्निथला ने कहा, “भारत सालों की कड़ी मेहनत के बाद विकसित हुआ है और देखिए अब क्या हो रहा है। संविधान को सावधानी के साथ तैयार किया गया था। भारतीय नागरिकता अधिनियम 1955 में प्रभावी हुआ और उसके बाद से छह बार इसमें बदलाव किया गया, लेकिन कुछ भी धर्म के नाम पर नहीं किया गया। अब देखिए, एक ही झटके में सब कुछ बेतरतीब कर दिया गया और देश को बांटा जा रहा है।”
संयोग से केरल पहला राज्य है, जहां सत्तापक्ष और विपक्ष ने मिलकर महीने की शुरुआत में सीएए के खिलाफ चार घंटे का विरोध प्रदर्शन किया था।