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    रियल टाइम ऊर्जा नियमन मुहैया कराने वाला नया कानून अगले साल एक अप्रैल लागू होने की उम्मीद है। केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग (सीईआरसी) ने बुधवार को यह जानकारी दी। यहां इंडिया इनर्जी फोरम द्वारा आयोजित पॉवर फोरम 2019 को संबोधित करते हुए सीईआरसी के चेयरमैन पी.के. पुजारी ने कहा कि ऊर्जा क्षेत्र का प्रदर्शन बेहतर करने के लिए नए नियम तैयार किए जा रहे हैं।

    उन्होंने उम्मीद जताई कि प्रस्तावित कानून से ‘ऊर्जा क्षेत्र नई उड़ान भरेगा और मनचाहे लक्ष्य प्राप्त करेगा।’

    कार्यक्रम में मध्य प्रदेश के ऊर्जा सचिव आई.सी.पी. केशरी ने राज्य वितरण कंपनियों (डिस्कॉम्स) के किसी भी तरह के 100 प्रतिशत निजीकरण का विरोध किया। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश की ऊर्जा सब्सिडी अगले साल से 20,000 करोड़ रुपये बढ़ने की संभावना है, जो फिलहाल वर्तमान वर्ष में अनुमानित रूप से 18,000 करोड़ रुपये है।

    केशरी ने कहा, “राज्य डिस्कॉम इतनी राशि वहन नहीं कर सकती है, इसलिए राजनीतिक आम सहमति जरूरी है, जिससे चोरी रोकी जा सके और बिजली दरों को ऐसे बनाया जाए कि वे ऊर्जा क्षेत्र के व्यावसायीकरण के लिए टिकाऊ हों।”

    उन्होंने कहा, “सब्सिडी अवांछनीय है, क्योंकि इससे राज्य के कोष पर अतिरिक्त भार पड़ेगा और एक तंत्र विकसित किया जाना चाहिए जिससे ऊर्जा क्षेत्र सक्षम और टिकाऊ बन सके।”

    उन्होंने कहा, “इसलिए पूर्ण निजीकरण कोई टिकाऊ समाधान नहीं है।”

    उन्होंने कहा कि ऊर्जा क्षेत्र का पूर्ण निजीकरण गलत है, और अगर यह करना ही है तो इसे 70:30 के अनुपात में किया जाना चाहिए।

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