सिंध की जनता के हितो का प्रतिनिधित्व करने वाली वर्ल्ड सिंधी कांग्रेस ने आधिकारिक तौर पर यूएन से सिंध में जांच टीम भेजने की दरख्वास्त की है ताकि पाकिस्तान के सिंध प्रान्त में जारी मानव अधिकार उल्लंघन की जांच की जा सके और सिंध में मानवधिकारों की बिगड़ते हालातों में यह यूएन का आधिकारिक हस्तक्षेप होगा।
यूएन जांच टीम सिंध भेजे
वर्ल्ड सिंधी कांग्रेस के सेक्रटरी जनरल लखु लुहाना ने कहा कि “अपने इतिहास में सिंधी जनता सबसे भयावह अत्याचार से जूझ रही है। प्रति माह 10 व्यक्ति लापता हो रहे हैं, धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा का स्तर सीमा पार कर चुका है, बीते दो माह में सिंधी हिन्दू समुदाय की 13 नाबालिग बच्चियों का अपहरण किया गया और इसके बाद उनका जबरन धर्मांतरण किया गया था।”
उन्होंने सिंध में यूएन की जांच टीम भेजे जाने पर जोर दिया, जहां की जनता राज्य विभागों के उत्पीड़न का शिकार हो रही हैं। उन्होंने कहा कि “सिंधी जनता के जीवन जीने का एकमात्र तरीका संसाधन, को गैरकानूनी और अनैतिक तरीके से लूटा जा रहा है। सिंध की जनता न सिर्फ भूख और बिमारियों से तड़पकर मर रही है, बल्कि अब लापता भी की जा रही है।”
यूएन मानवधिकार परिषद् में सिंधी जनता पर अत्यचार के मुद्दों को बारम्बार उठाने वाले लखु लुहाना ने कहा कि “सिंध की जनता को पाकिस्तान से न्याय की कोई उम्मीद नहीं है और लोकतंत्र के बावजूद उसके संस्थान दशकों से संघर्ष से जूझ रहे हैं। इन खराब हालातों में तत्काल अंतर्राष्ट्रीय दखलंदाज़ी की जरुरत है। सिंध की जनता यूएन से अनुरोध करती है कि जांच कमिटी को सिंध में भेजे और सिंधी जनता के मानवधिकार उल्लंघन, राजनीति, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक उल्लंघन के सबूतों और आंकड़ों को इक्कठा करे।”
अल्पसंख्यकों के मानव अधिकार की हालात काफी गंभीर
शुक्रवार को कराची सिटी में एक अन्य एनजीओ ने सिंध प्रान्त में अल्पसंख्यकों की रक्षा के मसले पर एक प्रेस कांफ्रेंस की थी। पीपल्स ह्यूमन राइट आर्गेनाईजेशन के प्रमुख ईशान अली ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि “सिंध सरकार हिन्दू अल्पसंख्यकों के मानव अधिकारों बचाव करने में विफल रही है। दुर्भाग्यवश, सरकार ने सिंध की जनता विशेषकर अल्पसंख्यक हिन्दूओ के हालातों से आंखे फेर ली है।”
सिंध विधानसभा ने साल 2015 में सर्वसम्मति से सिंध क्रिमिनल लॉ (अल्पसंख्यकों की रक्षा) बिल पारित किया था। इस बिल के तहत अगर कोई भी जबरन धर्मांतरण में संलिप्त पाया गया तो उसे जुर्माने के साथ पांच वर्ष से उम्रकैद तक की सज़ा होगी। लेकिन यह बिल कभी लागू नहीं किया गया था। मानवधिकार संगठन ने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि “यदि इस बिल को चरमपंथी धार्मिक पार्टियों के दबाव के कारण अमल में नहीं लाया गया है तो यह गैर मुस्लिमों में असुरक्षा की भावना को बढ़ा देगा। सिंध में अल्पसंख्यकों के मानवधिकार के हालात बेहद गंभीर हैं।”