न्यूयोर्क में संयुक्त राष्ट्र की बैठक के इतर हो रहे दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संघ (सार्क) की बैठक में भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा कि दक्षिण एशियाई इलाकों में आतंकवाद शांति और स्थिरता को धमका रहा है। उन्होंने कहा बिना शांति के वातावरण और स्थिरता के दक्षिण एशिया में सहयोग पर कार्य नहीं किया जा सकता।
उन्होंने कहा दक्षिण एशियाई देशों और दुनिया में शांति और स्थिरता को नुकसान पहुँचाने वाला आतंकवाद एकमात्र भय का कारण है। भारतीय विदेश मंत्री ने पाकिस्तान की ओर इशारा करते हुए कि आतंकवाद को आर्थिक सहयोग करने वालों पर लगाम लगानी चाहिए।
उन्होंने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि हालातों में सुधार कर गुंजाईश तभी है जब जमीनी स्तर पर कार्य किया जाए।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने भारतीय समकक्ष नरेन्द्र मोदी को चिट्टी लिखकर दोनों राष्ट्रों के विदेश मंत्रियों की यूएन की बैठक के इतर द्विपक्षीय वार्ता का आग्रह किया था।
भारत ने पाकिस्तान के अनुरोध को स्वीकार कर लिया था लेकिन भारत को जम्मू कश्मीर में एक जवान और तीन पुलिसकर्मियों की निर्मम हत्या में पाकिस्तान के संलिप्त होने के सबूत मिले थे। जम्मू कश्मीर में हुए नृशंस कांड के बाद बैठक को रद्द कर दिया था।
कश्मीर घाटी में आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले बुरहान वानी को सम्मान देने के लिए इस्लामाबाद में उसके नाम के डाक टिकट जारी किये गये। नतीजतन संयुक्त राष्ट्र की सभा के इतर नई दिल्ली और इस्लामाबाद के विदेश मंत्रियों की द्विपक्षीय वार्ता के आग्रह को भारत ने ठुकरा दिया।
पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने सार्क देशों को संबोधित करते हुए कहा कि सार्क देशों की प्रगति में एकमात्र देश अड़चन उत्पन्न कर रहा है। उन्होंने सुषमा स्वराज के बैठक मध्य में छोड़कर चले जाने पर भी तंज कसा। उन्होंने कहा दोनों देशों के बीच वार्ता बहाल करने के आग्रह पर भारत का नकारात्मक रवैया बेहद अफसोसजनक था।
भारतीय अधिकारी ने कहा कि पाकिस्तानी विदेश मंत्री के आरोप निराधार और सत्य से कोसों दूर है। साथ ही उन्होंने सुषमा स्वराज के क्षेत्रीय भागीदारी में सार्क को सबसे मज़बूत संघ बनाने की प्रतिबद्धता के बारे में बताया।
उन्होंने कहा बैठक को बीच में छोड़कर जाने वाली वो पहली नेता नहीं थी। सुषमा स्वराज को भारतीय समुदाय और अन्य देशों के साथ होने वाली द्विपक्षीय वार्ता में शामिल होना था।