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    केरल पुलिस ने एक समूह में आईं दस महिलाओं को उनका पहचान पत्र देखने के बाद सबरीमाला मंदिर में अंदर जाने से शनिवार को रोक दिया। मंदिर की परंपरा के अनुसार 10 से 50 वर्ष के बीच की उम्र की महिलाओं का मंदिर में प्रवेश वर्जित है।

    सबरीमाला मंदिर का दो महीने तक चलने वाला समारोह श्रद्धालुओं के लिए आधिकारिक तौर पर रविवार सुबह पांच बजे खोला जाना है। हालांकि आज इसे मंदिर के पुजारियों द्वारा धार्मिक अनुष्ठान के लिए खोला गया।

    रोकी गई दस महिलाएं आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा से आई थीं। ये दसों श्रद्धालुओं के पहले जत्थे का हिस्सा थीं, जिन्हें पुलिस द्वारा पंबा बेस कैंप में पहचान पत्र देखने के बाद रोक दिया गया। सूत्रों के अनुसार, पुलिस को शक था कि दसों महिलाओं की उम्र 10-50 वर्ष आयुवर्ग के मध्य थी, इसलिए उन्हें उनके समूह से अलग कर दिया गया।

    सूत्रों ने बताया कि दसों महिलाओं को मंदिर की परंपरा के बारे में बताया गया, जिसके बाद वे वापस जाने को राजी हो गईं, जबकि बाकी लोग आगे बढ़ गए।

    एक साल पहले किले में तब्दील रहे प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर में शनिवार को शांति रही। इस बार यहां कोई निषेधाज्ञा लागू नहीं है।

    यद्यपि सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अपने बहुमत के एक फैसले में सबरीमाला से जुड़ी समीक्षा याचिकाओं को एक बड़ी पीठ के पास भेज दिया। लेकिन उसने कहा कि महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति देने वाले 28 सितंबर, 2018 के उसके आदेश पर स्थगन नहीं है।

    इस बार, केरल सरकार ने स्पष्ट किया है कि वह महिलाओं को दर्शन के लिए मंदिर में ले जाने के लिए कोई प्रयास नहीं करेगी।

    पिछले साल पुलिस ने महिलाओं को सुरक्षा प्रदान की थी, जिसका दक्षिणपंथी ताकतों के कार्यकर्ताओं ने कड़ा विरोध किया था और उन्हें वहां से भगा दिया था।

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