सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हो गया जिसमें साबरमती आश्रम के पुनर्विकास के गुजरात सरकार के प्रस्ताव को रद्द करने की मांग की गई थी। तुषार गांधी ने शीर्ष अदालत में एक अपील दायर किया यह देश के आश्रम और इसकी प्राचीन सादगी को ख़त्म कर देगा। 25 नवंबर 2021 के एक आदेश के तहत गुजरात उच्च न्यायलय ने पुनर्विकास परियोजना को चुनौती देने वाली उनकी जनहित याचिका को खारिज कर दिया था।
गांधी की ओर से तत्काल सुनवाई की मांग करने वाली वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह के एक उल्लेख पर मुख्य न्यायाधीश एन रमना ने आश्वासन दिया कि मामले को 1 अप्रैल को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाएगा।
तुषार गांधी कहते हैं- गुजरात सरकार के 2019 के आदेश ने उक्त आश्रम को एक “विश्व स्तरीय संग्रहालय” और “पर्यटन स्थल” में बदलने के लिए फिर से डिजाइन और पुनर्विकास करना चाह रही है। याचिकाकर्ता के अनुसार, परियोजना ने 40 से अधिक समान इमारतों की पहचान की है, जिन्हें संरक्षित किया जाएगा, जबकि बाकी लगभग 200 को ध्वस्त कर दिया जाएगा। इस पुनर्विकास के तहत एक कैफेटेरिया, पार्किंग स्थल, पार्क और चंद्रभागा नदी धारा के पुनरुद्धार की भी योजना है।
“परियोजना साबरमती आश्रम की भौतिक संरचना को बदल देगी और इसकी प्राचीन सादगी और भ्रष्ट कर देगी जो गांधीजी की विचारधारा का प्रतीक है और इसे इन महत्वपूर्ण गांधीवादी सिद्धांतों के विपरीत बना देगा जो आज आश्रम का प्रतीक है”, यह परियोजना न केवल “व्यक्तिगत इच्छाओं और महात्मा गांधी की वसीयत के विपरीत” है, बल्कि आश्रम के प्रबंधन ढांचे को भी बदल देगा।
सर्वोच्च न्यायलय में दायर अपील में कहा गया है कि यह आशंका है कि पुनर्विकास परियोजना “हमारे स्वतंत्रता आंदोलन के मंदिर और स्मारक को नष्ट कर देगी जो राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय आगंतुकों को आकर्षित करती है और इसे एक वाणिज्यिक पर्यटक आकर्षण में बदल देती है जिसे बाद में एक निजी ठेकेदार को दिया जाएगा”।
09 मार्च को गाँधी ने साबरमती आश्रम के पुनर्विकास के खिलाफ अपने ट्विटर अकाउंट पर याचिका पर हस्ताक्षर के लिए एक लिंक भी साझा किया था।
Please sign and circulate this petition. https://t.co/N0gJcqwreA
— Tushar GANDHI Manavta Meri Jaat. (@TusharG) March 9, 2022