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    अयोध्या में साधु-संत अब मांग कर रहे हैं कि पूर्व मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता कल्याण सिंह को राम मंदिर के निर्माण के लिए प्रस्तावित ट्रस्ट में शामिल किया जाए। अस्थाई राम मंदिर के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास ने कहा कि राम मंदिर आंदोलन में कल्याण सिंह का योगदान अतुलनीय है और उन्हें ट्रस्ट में शामिल किया जाना चाहिए।

    उन्होंने कहा, “कल्याण सिंह ने अपनी कुर्सी (मुख्यमंत्री पद) का त्याग कर दिया और बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के बाद एक दिन के लिए जेल भी गए। वह सच्चे राम भक्त हैं और सम्मान के हकदार हैं।”

    गौरतलब है कि छह दिसंबर, 1992 को बाबरी मस्जिद विध्वंस के समय उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री कल्याण सिंह थे। मस्जिद ढहाए जाने के कुछ ही घंटों बाद उनकी सरकार गिर गई थी और कल्याण सिंह को एक दिन के लिए जेल भेज दिया गया था, क्योंकि उन्होंने मस्जिद की रक्षा करने का अदालत में एक हलफनामा दिया था।

    कल्याण सिंह ने बाद में स्वीकार किया था कि अयोध्या में कारसेवकों पर गोलीबारी नहीं करने का आदेश उन्होंने दिया था।

    विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के प्रवक्ता शरद शर्मा ने भी मस्जिद ढहाए जाने में कल्याण सिंह की भूमिका को स्वीकार किया और कहा, “छह दिसंबर, 1992 को अयोध्या में तैनात पुलिस और अर्धसैनिक बल ने एक भी रामभक्त को नहीं छुआ। इसका श्रेय कल्याण सिंह को जाना चाहिए और मंदिर आंदोलन में उनकी प्रतिबद्धता पर सवाल नहीं उठाए जा सकते और हम ट्रस्ट में उन्हें शामिल किए जाने का समर्थन करेंगे।”

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