हाल ही में सरकार ने सातवें वेतन आयोग के लाभ को शिक्षक एवं शैक्षणिक अधिकारियों तक बढाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। अतः यह शिक्षकों के लिए एक खुशखबरी है। संशोधित वेतनमान 19.1.2016 से लागू होगा और इसके लिए वार्षिक वित्तीय देयता लगभग 1,241.73 करोड़ रूपए संभावित की गयी है।
एचआरडी मिनिस्टर प्रकाश जावडेकर का बयान :
एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि सरकार 7 वें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार संशोधन के कारण बकाया राशि के भुगतान के लिए संस्थानों द्वारा किए जाने वाले कुल व्यय में से 50 प्रतिशत हिस्सा खुद की तरफ से व्यय करेगी।
ऐसा करने से राज्य सरकार द्वारा चलाए जा रहे संस्थानों के कुल 29,264 शिक्षकों और अन्य शैक्षणिक कर्मचारियों को लाभ मिलेगा। इसके अलावा, ऑल इंडिया काउंसिल ऑफ टेक्निकल एजुकेशन (AICTE) के दायरे में निजी कॉलेजों या संस्थानों के लगभग 3.5 लाख शिक्षक और अन्य अकादमिक कर्मचारी को भी इससे लाभान्वित होने की आशा है।
10% EWS quota will be implemented in the AY 2019-20 itself in 40,000 Colleges & 900 Univs, without impacting the existing quotas for SCs,STs & OBCs and GEN seats. Additional seats will be created to implement this.@narendramodi @PMOIndia @mygovindia @BJP4India @PIB_India pic.twitter.com/WXN1Qxr8tn
— Prakash Javadekar (@PrakashJavdekar) January 15, 2019
10 प्रतिशत कोटे का भी किया ज़िक्र :
जावड़ेकर ने यह भी कहा कि सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण कोटा 2019 शैक्षणिक वर्ष से सभी शैक्षणिक संस्थानों में लागू किया जाएगा और देश भर के विश्वविद्यालयों में लगभग 25 प्रतिशत सीटों की वृद्धि होगी।
सामान्य वर्ग को दिए जाने वाला यह आरक्षण 2019-2020 शैक्षणिक सत्र से संस्थानों में लागू किया जाएगा। उन्होंने हाल ही में यह बयान दिया था की दूसरी अनुसूचित जातियों के आरक्षण कोटे में कोई गड़बड़ी ना हो इसलिए 25 प्रतिशत और सीटें संस्थानों में जोड़ी जायेंगी। देशभर में कुल 40000 कॉलेज एवं 900 विश्वविद्यालयों में इस आरक्षण को लागू किया जाएगा एवं ऐसा नए सत्र से किया जाएगा।
यह उल्लेखनीय है की सामान्य वर्ग को आरक्षण देने का बिल कुछ समय पहले ही लोकसभा में पेश किया गया था। इसको कांग्रेस ने बीजेपी की वोट पर कब्ज़ा करने की पालिसी बताया था लेकिन फिर भी इसके खिलाफ केवल 3 ही वोट थे। अतः बहुमत के साथ यह बिल पारित कर दिया गया था।