महाराष्ट्र में इन दिनों काफी तनाव का माहौल बना हुआ है। देवेंद्र फडणवीस सरकार इन दिनों बहुत मुश्किलों से घिरती नज़र आ रही है।
हाल ही में चल रहे मराठा आरक्षण आंदोलन से सरकार सर से लेकर पैर तक हिल गई है। इसकी वजह से पार्टी में नेतृत्व को लेकर भी सवाल उठने लग गए थे। सरकारी नौकरी एवं शिक्षा में आरक्षण कि मांग से मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस निपट ही रहे थे इतने में उनके सामने एक नई मुश्किल आ खड़ी हुई है।
7वें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने की मांग को लेकर महाराष्ट्र में मंगलवार से 17 लाख सरकारी कर्मचारी 3 दिन की हड़ताल पर हैं। वह 9 अगस्त तक हड़ताल पर रहेंगे।
सरकारी कर्मचारियों कि मांग है कि सरकार सैलरी हाइक करे एवं 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों जल्द से जल्द लागू करे।
हालांकि इस हड़ताल में 1.5 लाख राजपत्रित अधिकारी शामिल नहीं हैं। परन्तु लगभग 63 प्रतिशत कर्मचारी इन दिनों भूख हड़ताल पर हैं।
जाहिर है इस हड़ताल की वजह से राज्य में कामकाज पर बुरी तरह असर पड़ने की आशंका है। राज्य सरकार ने सोमवार (7 अगस्त 2018) को एक प्रस्ताव जारी किया था, जिसमें कहा गया कि डीए का 14 माह का पेंडिंग एरियर का भुगतान जल्द होगा।
महाराष्ट्र राज्य सरकारी कर्मचारी मध्यवर्ती संगठन के महासचिव अविनाश दौंद ने दावा किया कि, ” तीसरे एवं चौथी श्रेणी के सरकारी कर्मचारी के हड़ताल में शामिल होने के कारण सरकारी अस्पतालों सहित विभिन्न विभागों में आवश्यक सेवाएं प्रभावित हुई हैं।”
बता दे कि, जुलाई में महाराष्ट्र सरकार ने ऐलान किया था कि वह अपने कर्मचारियों को जनवरी 2019 से 7वें वेतन आयोग का लाभ देना शुरू करेगी।
परन्तु इस पर सरकारी कर्मचारियों के नेताओं ने मुखातिब हो कर कहा कि, ” सरकार सिर्फ आश्वासन दे रही है, लेकिन अब इससे काम नहीं चलेगा। उसे हमारी मांगें तुरंत माननी होंगी। उसे 7वें वेतन आयोग को तुरंत लागू करना होगा।”