राजस्थान सरकार ने राज्य के कर्मचारियों तथा पेंशनर्स को सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के तहत लाभ देने की घोषणा की है।
सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के तहत राज्य के 12.5 लाख कर्मचारियों को मिलने वाला यह फायदा 1 जनवरी, 2017 से ही प्रभावी होगा।
राज्य सरकार के उद्योग मंत्री राजपाल सिंह शेखावत ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि इस कदम से सरकार पर हर साल 10,400 करोड़ रुपए का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा, बावजूद इसके कर्मचारियों को पूरे साल का एरियर तीन किश्तों में दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि एरियर की पहली किस्त अप्रैल 2018 में करीब 30 फीसदी, दूसरी किस्त जुलाई 2018 में 30 फीसदी तथा एरियर की 40 फीसदी तीसरी किस्त अक्टूबर 2018 में दी जाएगी।
मंत्री शेखावत ने कहा कि सातवें वेतन आयोग के तहत राज्य के सभी कर्मचारियों तथा पेंशनर्स की सैलरी में 14.22 फीसदी की बढ़ोतरी होगी। यहीं नहीं कर्मचारियों की बेसिक सैलरी में न्यूनतम 32 फीसदी की बढ़ोतरी होगी। इसके अतिरिक्त एचआरए में 100 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने दिवाली से पहले ही वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने की घोषणा की थी। उन्होंने बकायदा एक अधिसूचना जारी कर कहा था, कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग की सिफारिश के तहत 1 अक्टूबर 2017 से बढ़ी हुई सैलरी दी जाएगी। हांलाकि सभी कर्मचारी वसुंधरा सरकार की इस घोषणा से नाखुश हैं।
राज्य सरकार के इस फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के सदस्य तेजसिंह राठौर ने कहा है कि सरकार की यह घोषणा रविवार को होने वाली कर्मचारियों की प्रस्तावित आक्रोश रैली को दबाने के लिए की गई है। आप को बता दें कि राज्य कर्मचारी संघ ने 3 दिसंबर को एक राज्यव्यापी आक्रोश रैली आयोजित करने की धमकी दी थी।
केंद्रीय कर्मचारी संगठन सरकार से मिनिमिम बेसिक सैलरी 18000 रूपए महीने से बढ़ाकर 26 हजार रूपए तथा फिटमेंट फेक्टर 2.57 गुना की जगह 3.68 गुना करने की मांग कर रहे थे। लेकिन भारत सरकार सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुरूप ही कर्मचारियों को मिनीमिम बेसिक सैलरी मुहैया कराएगी। सातवें वेतन आयोग के हिसाब से केंद्रीय कर्मचारियों को मिनिमम बेसिक सैलरी 18 हजार रूपए ही मिलेगी।