नेशनल कांफ्रेंस (एनसी) अपने पार्टी अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला को रिहा कराने के लिए अथक प्रयास करेगी, ताकि वह संसद के चालू सत्र के दौरान भाग ले सकें।
यह बात एनसी के अनंतनाग से सांसद व जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश हसनैन मसूदी ने आईएएनएस से बातचीत के दौरान कही।
अब्दुल्ला उन नेताओं में शामिल हैं, जिन्हें पांच अगस्त को अनुच्छेद 370 के रद्द किए जाने के बाद हिरासत में लिया गया। इन नेताओं में अब्दुल्ला के बेटे उमर अब्दुल्ला व पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती भी शामिल हैं।
अब्दुल्ला को उनके गुपकर रोड के उनके आवास में नजरबंद किया गया है।
मसूदी ने आईएएनएस से कहा, “डॉ अब्दुल्ला श्रीनगर के 20 लाख लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं, लोगों की आवाज कैसे दबाई जा सकती है।”
संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन सोमवार को लोकसभा में विपक्षी सदस्यों ने अब्दुल्ला की रिहाई की मांग को लेकर हंगामा किया। कांग्रेस ने कहा कि अब्दुल्ला को संसद सत्र में भाग नहीं लेने देना अत्याचार है।
हसनैन मसूदी ने कहा, “कांग्रेस, द्रमुक व दूसरी पार्टियों के सदस्यों ने फारूक अब्दुल्ला को नजरबंद रखने के खिलाफ हमारे प्रदर्शन में भाग लिया।”
एनसी सांसद ने कहा कि सदस्यों ने लोकसभा अध्यक्ष से मामले में दखल देने का आग्रह किया।
उन्होंने कहा, “हमने लोकसभा अध्यक्ष से कहा कि अब्दुल्ला की नजरबंदी को रद्द किया जाना चाहिए, ताकि वह संसद सत्र में भाग ले सकें।”
मसूदी ने यह भी कहा कि इस मुद्दे को रविवार को सर्वदलीय बैठक में भी उठाया गया था।
विपक्ष की कई पार्टियां मसूदी का समर्थन कर रही है। केंद्र सरकार ने कहा है कि वह जम्मू-कश्मीर पर चर्चा के लिए तैयार है।
बीते महीने नेशनल कांफ्रेस के हिरासत में लिए गए कुछ नेताओं को रिहा करने के बाद पार्टी का एक प्रतिनिधिमंडल फारूक अब्दुल्ला से मिला था।
इस बीच महबूबा मुफ्ती की पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के राज्यसभा में सांसद मीर फयाज व नजीर अहमद लवे ने संसद परिसर में विरोध प्रदर्शन किया।