नई दिल्ली, 8 जुलाई (आईएएनएस)| सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को बॉम्बे उच्च न्यायालय के उस फैसले को चुनौती देने वाली एक याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति जताई, जो मराठाओं को नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण की अनुमति देता है। शीर्ष अदालत में शुक्रवार को मामले की सुनवाई होगी।
जून में बॉम्बे उच्च न्यायालय ने सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग (एसईबीसी) श्रेणी के तहत मराठा समुदाय को शिक्षा और सरकारी नौकरियों में आरक्षण की वैधता को बरकरार रखा था लेकिन इसे 16 प्रतिशत से कम कर दिया था।
अदालत ने प्रस्तावित 16 प्रतिशत आरक्षण को नीचे लाते हुए शिक्षा में 12 प्रतिशत और नौकरियों में 13 प्रतिशत करते हुए यह कहा कि इससे ज्यादा कोटा उचित नहीं है।
न्यायाधीश रंजीत मोरे और न्यायाधीश भारती डांगरे की खंडपीठ ने यह भी कहा कि सरकार एसईबीसी के लिए एक अलग श्रेणी बनाने और उन्हें आरक्षण देने का अधिकार रखती है।
यह फैसला राज्य सरकार के नवंबर 2018 के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं के संबंध में आया, जिसमें एसईबीसी श्रेणी के तहत मराठा समुदाय को 16 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है।
अपनी शुरुआती प्रतिक्रिया में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने अदालत के फैसले का स्वागत किया और संकेत दिया कि अनुशंसित नया कोटा प्रतिशत सरकार को स्वीकार्य है।
याचिकाकर्ताओं में से एक की वकील विजयलक्ष्मी खोपाडे ने कहा कि अदालत ने नौ सदस्यीय एम.जी. गायकवाड़ कमीशन की रिपोर्ट का भी समर्थन किया है। कमीशन ने मराठों को सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्ग के रूप में वर्गीकृत किया है।
खोपाडे ने आईएएनएस को बताया था कि न्यायाधीशों ने कहा है कि महाराष्ट्र सरकार द्वारा प्रस्तावित आरक्षण, पिछड़ा वर्ग आयोग द्वारा पेश उचित आंकड़ों पर आधारित था।