दिल्ली के सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर इतना सुधर गया है कि लगभग 61 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि वे अपने बच्चों को एक निजी स्कूल में भेजने की अपेक्षा सरकारी स्कूल में भेजने को तरजीह देंगे। राष्ट्रीय राजधानी में आठ फरवरी को विधानसभा चुनावों से ठीक पहले आईएएनएस-नेता एप जनता बैरोमीटर सर्वे के आंकड़ों में यह खुलासा हुआ है।
आईएएनएस-नेता एप ने बुधवार को सर्वे में प्राप्त आंकड़े जारी किए। सर्वे में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अगुआई वाली आम आदमी पार्टी (आप) के पिछले वर्षो में प्रदर्शन मापा गया था।
शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे प्रमुख क्षेत्रों में आप सरकार के प्रदर्शन पर जनता की राय जानने के लिए किया गया यह सर्वे दिल्ली की सभी 70 विधानसभा सीटों में लगभग 40,000 नागरिकों की 20 जनवरी से 27 जनवरी के बीच मिलीं प्रतिक्रियाओं पर आधारित था।
शिक्षा के क्षेत्र में जनता को अच्छी तरह संतुष्ट करने के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी जनता का पर्याप्त समर्थन प्राप्त किया है।
सर्वे में चौंका देने वाले आंकड़े प्राप्त हुए, जिनके अनुसार 61 प्रतिशत लोग अपने बच्चों को निजी स्कूल की अपेक्षा सरकारी स्कूल में भेजना चाहेंगे।
चुनावों में केजरीवाल की प्रमुख मजबूती दिल्ली के सरकारी स्कूल ही हैं और केंद्र सरकार तथा दिल्ली सरकार के बीच शक्ति विभाजनों को देखते हुए केजरीवाल सरकार ने जिन प्रमुख क्षेत्रों को प्रमुखता से ध्यान देने के लिए चुना था उनमें शिक्षा भी था।
जहां आप ने दिल्ली के सरकारी स्कूलों में बदलाव को अपनी प्रमुख उपलब्धि के तौर पर दर्शाया है, वहीं विपक्ष आम आदमी पार्टी के प्रदर्शन की आलोचक रही है और हाल ही में उसने कुछ वीडियो जारी किए थे जिनमें स्कूलों की जर्जर हालत दिखाई गई थी।
सर्वे के अनुसार, 76 प्रतिशत उत्तरदाता दिल्ली के सरकारी स्कूलों में दी गई सुविधाओं की गुणवत्ता से संतुष्ट हैं, वहीं 84 प्रतिशत लोगों ने सरकारी स्कूलों की संरचना से संतुष्टि जताई।
पिछले पांच सालों में हुए सुधार के बारे में पूछने पर 82 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि शिक्षा और अन्य संबंधित सुविधाओं में वृद्धि हुई है। पिछले चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को मिलीं रोहिणी और विश्वास नगर विधानसभाओं से भी यही प्रतिक्रियाएं मिलीं।
सर्वे के अनुसार, दिल्ली के सरकारी स्कूलों से सबसे ज्यादा संतुष्ट लोग नई दिल्ली (आप), रोहिणी (भाजपा), विश्वास नगर (भाजपा), राजेंद्र नगर (आप), बाबरपुर (आप) और बुराड़ी (आप) में पाए गए।
आप की कुछ अन्य सीटों पर तस्वीर उतनी अच्छी नहीं है। आप के कब्जे वाली जिन सीटों पर सबसे ज्यादा असंतोष पाया गया, उनमें त्रिलोकपुरी, घोंडा, बादली, मालवीय नगर हैं।
केजरीवाल सरकार से स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी जनता खुश है।
आईएएनएस-नेता एप सर्वे के अनुसार, 80 प्रतिशत उत्तरदाता मानते हैं कि दिल्ली में स्वास्थ्य सेवा आप सरकार में सबसे ज्यादा सुलभ हुई है।
मोहल्ला क्लीनिकों पर उपलब्ध गुणवत्ताओं पर लगभग 69 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने संतोष व्यक्त किया वहीं शेष ने असंतोष व्यक्त किया। रोचक बात ये है कि भाजपा के कब्जे वाली रोहिणी और विश्वास नगर सीटों पर भी लोगों में मोहल्ला क्लीनिकों के लिए संतोष देखा गया।
मोहल्ला क्लीनिकों की व्यापक लोकप्रियता के बावजूद यहां आने वाले लोगों की संख्या कम है। सर्वे के दौरान 68 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि वे एक बार भी मोहल्ला क्लीनिक नहीं गए, वहीं 25 प्रतिशत ने कहा कि उन्होंने मोहल्ला क्लीनिक से एक बार स्वास्थ्य सहायता ली वहीं सात प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे एक से ज्यादा बार मोहल्ला क्लीनिक गए।
मुख्यमंत्री की सीट नई दिल्ली पर उत्तरदाताओं का बड़ा हिस्सा मोहल्ला क्लीनिक पर एक से ज्यादा बार जा चुका है।
सबसे ज्यादा संतुष्ट सीटों में नई दिल्ली (आप), रोहिणी (भाजपा), विश्वास नगर (भाजपा), पटेल नगर (आप), वजीरपुर (आप) और ओखला (आप) हैं। वहीं सबसे ज्यादा असंतुष्ट सीटों में घोंडा, बवाना, नरेला, ग्रेटर कैलाश, मुंडका (सभी आप की) हैं।
आप सरकार ने सरकार की प्रमुख योजना के तौर पर कई मोहल्ला क्लीनिक शुरू किए हैं। केजरीवाल ने यह कहते हुए राष्ट्रीय राजधानी में आयुष्मान भारत योजना लागू करने से इंकार कर दिया कि राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जा रही स्वास्थ्य सेवाएं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई वाली केंद्र सरकार की योजना से काफी बेहतर हैं।
वहीं दूसरी तरफ दिल्ली में यह योजना लागू नहीं करने के लिए भाजपा केजरीवाल सरकार पर हमले करती रही है।