सर्किट स्विचिंग और पैकेट स्विचिंग में मुख्य अंतर (difference between circuit switching and packet switching in hindi)
इस लेख में हम सर्किट स्विचिंग और पैकेट स्विचिंग में विभिन्न प्रकार के अंतर के बारे में चर्चा करेंगे।
सर्किट स्वीचिंग (circuit switching) | पैकेट स्वीचिंग (packet switching) |
सर्किट स्वीचिंग में 3 फेज होते हैं – कनैक्शन एसटेबलिशमेंट, डाटा ट्रान्सफर, कनैक्शन रिलीज। | पैकेट स्वीचिंग में सीधा डाटा ट्रान्सफर किया जाता है। |
इसमे सारे के सारे डाटा को पाथ एड्रैस का पता होता है जो की सोर्स के द्वारा दिया गया है। | इसमे केवल डाटा को उस एड्रैस का पता होता है जहाँ पर उसे जाना होता है। बिच के पाथ उसे राउटर के माध्यम से दिये जाते हैं। |
इसमे डाटा को सोर्स सिस्टम में ही प्रोसैस किया जाता है। | इसमें डाटा बिच के सारे के सारे नोड्स में डाटा को सिस्टम के साथ साथ प्रोसैस करता है। |
इसमे डाटा का देरी से आना सामान्य बात है। | इसमें डाटा का देरी से आना सामान्य बात नहीं है। |
रिसौरस रिज़र्वेशन इसका एक महतव्पुर्ण फीचर है। | इसमे किसी भी प्रकार के रिसौरस रिज़र्वेशन का विकल्प नहीं है क्योंकि इसमे बैंडविड्थ का उपयोगी को पता होता है। |
यह बहुत ही विश्वसनीय है। | यह कम विश्वसनीय है। |
इसमें संसाधनों को काफी बेकार किया जाता है। | इसमें संसाधनों को बेकार नहीं किया जाता है। |
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