इंफ्रास्ट्रक्चर के दिग्गज लार्सन और टर्बो ने दावा किया कि सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा यानी स्टेचू ऑफ़ यूनिटी भारतीय इंजीनियरिंग को समर्पित है। सरदार पटेल को भारत का लौह पुरुष भी कहा जाता है। यह दुनिया की सबसे भव्य और विशाल प्रतिमा है जिसका निर्माण मात्र 33 महीनों में किया गया है। चीन के बुद्ध मंदिर के निर्माण को पूर्ण होने में 11 साल का समय लगा था।
सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा चीन के स्प्रिंग टेम्पल बुद्ध से 153 मीटर ऊँचा है जबकि विश्व में मशहूर स्टेचू ऑफ़ लिबर्टी से दोगना बड़ा है। इसके निर्माण में 2989 करोड़ की लागत आई है। यह प्रतिमा सरदार सरोवर बाँध से लगभग 3.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
इस भव्य प्रतिमा का अनावरण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 31 अक्टूबर यानी सरदार पटेल के जन्मदिवस पर करेंगे। इस प्रोजेक्ट में भागीदारों ने बताया कि शिल्पकार राम सुथार ने कई शिल्पकृतियाँ बनाई और अंत में कांसे से शिल्पकृति का निर्माण किया था। उन्होंने 30 फीट की शिल्पकृति बनाई। यह प्रतिकृतियां डाटा को स्कैन करने में समर्थ है और बादमे डाटा ग्रिड में परिवर्तित कर देती है।
प्रतिमा के पास स्थित गैलरी में एक साथ में 200 लोग आ सकते हैं। यहाँ से सतपुरा और विंध्याचल पर्वतमाला का नज़ारा भी देखा जा सकेगा। दर्शक सरदार सरोवर जलाशय और 12 किलोमीटर दूर गुरुदेश्वर जलाशय का भी नज़ारा देख सकते हैं।
स्टेचू के लॉबी एरिया में सरदार पटेल की जिंदगी पर 15 मिनट की जीवनी प्रदर्शित की जाएगी। साथ ही गुजरात के आदिवासी संस्कृति को भी दर्शाया जायेगा। दर्शकों के लिए प्रतिमा का ऑडियो और विडियो प्रसारण भी किया जायेगा।
15 दिसम्बर 2013 को गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 169000 गाँवों से 3 लाख खाली लौहे के डिब्बे जुटाने का अभियान चलाया था। साल 2016 तक प्रतिमा के लिए 135 मेट्रिक टन लोहा एकत्रित कर लिया गया था।
सरदार वल्लभ भाई पटेल भारत के पहले उपप्रधानमंत्री थे। सूत्रों के मुताबिक भारत की सभी विभाजित रियासतों को एक करने का जिम्मा सरदार पटेल के मज़बूत कांधो पर था। उन्होंने अखंड भारत के स्वप्न को पूर्ण कर दिखाया था।