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    भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने फैसला किया है कि वह केंद्र सरकार को अपने सरप्लस 99,122 करोड़ रुपए की रकम ट्रांसफर करेगा। केंद्रीय बैंक के बोर्ड ने 31 मार्च 2021 को समाप्त नौ महीने की लेखा अवधि के लिए सरकार को सरप्लस के रूप में 99,122 करोड़ रुपये के ट्रांसफर करने को मंजूरी दी। यह फंड मार्च 2021 तक समाप्त 9 महीनों में आरबीआई की जरूरतों से अलग है। आरबीआई ने फंड ट्रांसफर करने का यह फैसला रिजर्व बैंक के सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की 589वीं बैठक में ली गई है। आरबीआई के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की यह बैठक गवर्नर शक्तिकांत दास की अगुवाई में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई।

    केंद्रीय बैंक की कमाई का मुख्य जरिए करेंसी कारोबार और सरकारी बांड के अलावा नोटों का मुद्रण या सिक्कों की ढलाई है। इस आमदनी में से एक हिस्से को रिजर्व बैंक अपने परिचालन खर्च और आकस्मिक जरूरत के लिए रखता है। शेष राशि सरकार को लाभांश के रूप में हस्तांतरित कर दी जाती है। रिजर्व बैंक द्वारा सरकार को दिए जाने वाले अधिशेष को लाभांश कहा जाता है।

    पिछले साल आरबीआई ने अपने सरप्लस फंड का 44 फीसदी फंड यानी 57,128 करोड़ रुपए केंद्र सरकार को ट्रांसफर किया था। यह पिछले सात साल का यह सबसे कम सरप्लस फंड था।

    रिजर्व बैंक के लेखा वर्ष को अप्रैल-मार्च (पहले जुलाई-जून) में बदलने के साथ, बोर्ड ने नौ महीने (जुलाई 2020-मार्च 2021) की अवधि के दौरान आरबीआई के कामकाज पर चर्चा की। बैठक के दौरान गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में बोर्ड ने संक्रमण अवधि के लिए रिजर्व बैंक की वार्षिक रिपोर्ट और खातों को मंजूरी दी। बयान के मुताबिक, बोर्ड ने 31 मार्च 2021 को समाप्त नौ महीने (जुलाई 2020-मार्च 2021) की लेखा अवधि के लिए केंद्र सरकार को अधिशेष के रूप में 99,122 करोड़ रुपये के हस्तांतरण को मंजूरी दी, जबकि आकस्मिक जोखिम बफर को 5.50 प्रतिशत पर बनाए रखने का निर्णय लिया।

    बैठक में डिप्टी गवर्नर महेश कुमार जैन, माइकल देवव्रत पात्रा, एम राजेश्वर राव और टी रवि शंकर शामिल हुए। केंद्रीय बोर्ड के अन्य निदेशक एन चंद्रशेखरन, सतीश के मराठे, एस गुरुमूर्ति, रेवती अय्यर और सचिन चतुर्वेदी भी बैठक में शामिल हुए। वित्तीय सेवा विभाग के सचिव देवाशीष पांडा और आर्थिक मामलों के विभाग के सचिव अजय सेठ ने भी बैठक में भाग लिया।

    By आदित्य सिंह

    दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास का छात्र। खासतौर पर इतिहास, साहित्य और राजनीति में रुचि।

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