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    सरकार ने संकटग्रस्त दूरसंचार सार्वजनिक उपक्रमों भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) और महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (एमटीएनएल) की हिस्सेदारी बेचने या विनिवेश की किसी भी योजना से गुरुवार को इनकार कर दिया है। सरकार ने संसद में कहा कि चालू वित्त वर्ष में दोनों कंपनियों की परिसंपत्तियों के मुद्रीकरण से 200 करोड़ और 300 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य तय किया गया है।

    दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने राज्यसभा में पेश किए लिखित जवाब में कहा कि चालू वित्त वर्ष के दौरान मुद्रीकृत होने वाली विशिष्ट संपत्तियों की पहचान अभी नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि बीएसएनएल और एमटीएनएल के लिए चालू वित्त वर्ष के दौरान संपत्ति के मुद्रीकरण का लक्ष्य 200 करोड़ रुपये और 300 करोड़ रुपये है। ।

    उन्होंने कहा कि बीएसएनएल और एमटीएनएल के विनिवेश का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।

    बीएसएनएल का घाटा 2017-18 से दोगुना होकर वर्ष 2018-19 में लगभग 15,000 करोड़ रुपये हो गया है। इसके अलावा इसका राजस्व भी वित्त वर्ष 2019 में घटकर 19,321 करोड़ रुपये रह गया है।

    राज्यसभा में एक लिखित जवाब में दूरसंचार मंत्री ने कहा, “एमटीएनएल दिल्ली और मुंबई महानगरों में काम करता है, जबकि बीएसएनएल शेष भारत में संचालित होता है। कैबिनेट ने बीएसएनएल और एमटीएनएल के पुनरुद्धार की योजना को मंजूरी दे दी है। इसमें बीएसएनएल और एमटीएनएल के विलय के लिए सैद्धांतिक मंजूरी शामिल है।”

    उन्होंने कहा कि इस विलय से दोनों ही सार्वजनिक उपक्रमों को लाभ पहुंचेगा।

    उनके द्वारा दिए गए आंकड़ों के अनुसार 2018-19 में बीएसएनएल में 14,903 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। वहीं इसे 2017-18 में 7,993 करोड़ रुपये और 2016-17 में 4,793 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा। इसके अलावा एमटीएनएल को 2018-19 में 3,398 करोड़ रुपये और 2017-18 में 2,971 करोड़ रुपये का घाटा हुआ।

    इसके साथ ही 2017-18 में बीएसएनएल का राजस्व 25,071 करोड़ रुपये और 2016-17 में 31,533 करोड़ रुपये था। एमटीएनएल का राजस्व 2016-17 में 3,552 करोड़ रुपये, 2017-18 में 3,116 करोड़ रुपये और 2018-19 में 2,607 करोड़ रुपये था।

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