सरकार ने एफएमसीजी कंपनियों को निर्देश जारी कर कहा है कि मौजूदा स्टॉक पर नए प्राइस टैग लगाकर उपभोक्ताओं को जीएसटी कटौती का अंतर दिखाएं। उपभोक्ता मामलों के विभाग से जुड़ा मैट्रोलॉजी डिवीजन जो उत्पादों के मापन और लेबलिंग संबंधी देखरेख करता है, इसने एफएमसीजी कंपनियों के स्टॉक पर जीएसटी कटौती वाले नए प्राइस टैग के लगाने का निर्देश दिया है।
मैट्रोलॉजी डिवीजन की ओर जारी इस निर्देश के बाद जीएसटी कटौती वाले नए एमआरपी का लेबलिंग करना जारी रहेगा। उपभोक्ता मामलों के मंत्री राम विलास पासवान ने 178 उत्पादों पर जीएसटी कटौती के तुरंत बाद मौजूदा स्टॉक पर कम एमआरपी घोषित करने के लिए एक अतिरिक्त स्टिकर मुद्रित करने की अनुमति दी थी।
मैट्रोलॉजी डिविजन का कहना है कि जीएसटी में कटौती के बाद नए एमआरपी स्टिकर के रूप में नई और पुरानी दरों को टैग करने की आखिरी तारीख 31 दिसबंर तक है। इसके बाद जीएसटी के नए नियमानुसार प्रोडक्ट्स की पैकेजिंग पर प्राइस मुद्रित करनी होगी।
ग्रांट थॉर्नटन इंडिया के पार्टनर धनराज भगत का कहना है कि मैट्रोलॉजी डिविजन का यह निर्देश उपभोक्ताओं को सशक्त बनाएगा तथा जीएसटी कटौती के मिलने वाले लाभों से अवगत कराएगा।
लेकिन स्टॉक होल्डर्स को यह सुनिश्चित करना होगा कि उन्होंने प्रोडक्टस पर गलत लेबलिंग तो नहीं की है। नेस्ले, आईटीसी, डाबर, गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स और मैरिको उन कंपनियों में से हैं, जिन्होंने पिछले तीन दिनों में कीमत में कटौती की घोषणा की है।
उपभोक्ता वस्तुओं के कार्यकारी अधिकारी ने कहा कि खुदरा दुकानों पर पहले से मौजूद उत्पादों पर स्टीकर पेस्ट करना संभव नहीं है।
इसलिए उत्पाद वितरकों को मौजूदा स्टॉक और पहले से ही निर्मित इन्वेंट्री पर स्टीकर चिपकाने होंगे। एक बड़े पैकेज्ड फूड मेकर ने कहा कि, हम सरकार के निर्देशों का पालन करेंगे। इस नई कीमत को लेकर हम हमारे व्यापरिक पार्टनर्स के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।
गौरतलब है कि गुवाहाटी में 10 नवंबर को आयोजित जीएसटी काउंसिल की बैठक में करीब 200 उत्पादों को 28 फीसदी के जीएसटी स्लैब से घटाकर 18 फीसदी के स्लैब में कर दिया गया।
इनमें से अधिकांश वस्तुएं रोजमर्रा के जीवन में काम आने वाली हैं, जैसे डिटर्जेंट, शैम्पू, त्वचा देखभाल उत्पादों, चॉकलेट्स और डिओडोरेंट्स अादि। कुछ वस्तुओं को 18 फीसदी से घटाकर 12 फीसदी जीएसटी स्लैब में लाया गया। इस जीएसटी कटौती के बाद केन्द्रीय उत्पाद शुल्क और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) के अध्यक्ष वनाजा सरना ने एफएमसीजी कंपनियों को पत्र लिखा कि वे सभी उत्पादों की कीमतों में तुरंत संशोधन करें और उपभोक्ताओं को इस बात की जानकारी मुहैया कराएं।
मुनाफाखोर कंपनियों पर कार्रवाई करने के लिए कैबिनेट ने अभी पिछले हफ्ते राष्ट्रीय एंटी-प्रॉफिटिंग प्राधिकरण की स्थापना को मंजूरी दी। यह एंटी-प्रॉफिटिंग प्राधिकरण मुनाफाखारों के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई करते हुए उपभोक्ताओं को जीएसटी लाभ से सुनिश्चित कराएगा।