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    रघुराम राजन

    आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने 4 सितम्बर को अपनी नई किताब आई डु व्हाट आई डु लांच की। रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने सरकार को नोटबंदी के बारे में सावधान किया था। और कहा था कि नोटबंदी के लक्ष्य को पाने के लिए और अन्य बेहतरीन विकल्प भी है। इसके अनुसार 2013 से 2016 तक रिजर्व बैंक के गवर्नर रहे रघुराम राजन ने सरकार को नोटबंदी से होने वाले भारी नुकसान के बारे में चेताया था। राजन की बात काफी हद तक सही साबित हो रही है, हाल ही में आये जीडीपी के आंकड़ों में जीडीपी की दर पिछले तीन सालों में सबसे निचले स्तर पर है।

    राजन ने लिखा है की फरवरी 2016 में जब मुझसे सरकार ने नोटबंदी पर दृष्टिकोण माँगा था। जिसे मैने मौखिकः रूप से दिया था। दीर्घकालिक स्तर पर इसके फायदे हो सकते है। पर मैंने देखा कि संभावित अल्पकालिक नुकसान दीर्घकालिक फायदों पर भारी पद सकते है। इसके मुख्य उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए संभवत बेहतरीन विकल्प थे।

    राजन ने बताया की उन्होंने सरकार को एक नोट दिया था, जिसमें नोटबंदी के संभावित नुकसान और फायदे बताये गए थे। तथा उन्होंने सामान उद्देश्यों को प्राप्त करने के अन्य वैकल्पिक तरीके बताये थे।

    आगे लिखा है अगर सरकार फिर भी नोटबंदी को लागु करना चाहती है, तो इस स्थिति में नोट में इसकी आवश्यक तैयारियों और लगने वाले समय के बारे में भी लिखा था। रिजर्व बैंक के आधी-अधूरी तैयारिओं से होने वाले नुकसान के बारे में भी बताया था।

    रघुराम राजन 4 सितम्बर को अपने पद से हटे और इसके दो महीने बाद ही सरकार ने 8 नवम्बर को 15.44 लाख करोड़ नोटों को अवैध घोषित कर दिया था। सरकार के इस कदम से उम्मीद की जा रही थी कि ये कदम कालेधन को रोकने में अंकुश लगाएगा। सरकार को उम्मीद थी कि कम से कम एक तिहाई कालाधन जो 500 और 1000 के नोट में है, खत्म हो जाएगा। कुछ दिन पहले आयी आरबीआई की रिपोर्ट में था कि 99% नोट बैंक में जमा हो चुके है। उन्होंने कहा सरकार ने इन मुद्दों पर विचार करने के लिए एक समिति गठित की थी। मुद्रा संबंधी मामलो को देखने वाले डिप्टी गवर्नर इसकी सभी बैठक में शामिल हुए थे। आगे उन्होंने कहा की सरकार ने मेरे कार्यकाल के दौरान कभी भी रिजर्व बैंक को नोटबंदी पर निर्णय लेने को नहीं कहा।