दिल्ली के मुख्यमंत्री केन्द्र सरकार को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ते। जबसे किसान आंदोलन शुरू हुआ है, केजरीवाल कई बार केन्द्र सरकार को घेर चुके हैं। कल केजरीवाल सिंघू बॉर्डर पहुंचे। सिंघू बॉर्डर पर उन्होंने अपने भाषण में कहा कि केन्द्र सरकार किसानों की खेती छीनना चाहती है।
अरविंद केजरीवाल की पार्टी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में लड़ना चाहती है। इसके लिये पार्टी के नेता जमीन तैयार करने में जुटे हैं। यूपी में जीत के लिये लोगों के मन में बीजेपी के लिये जहर भरना जरुरी है। आम आदमी पार्टी वही कर रही है। जबकी केन्द्र सरकार स्पष्टीकरण दे चुकी है कि किसानों की जमीन से इस बिल का कोई लेना देना नहीं है, तब भी केजरीवाल आंदोलन में जाकर किसानों को भड़का रहे हैं। केजरीवाल ने आरोप लगाया कि बीजेपी सरकार किसानों से खेती छीनकर अम्बानी – अदानी को देना चाहती है। केजरीवाल ने कहा कि वो केन्द्र से अपील करते हैं कि ये कानून जल्द से जल्द वापस लिये जायें।
कृषि से जुड़े केंद्र के काले कानूनों को लेकर केंद्र सरकार के मंत्रियों और किसान नेताओं के बीच एक खुली बहस होनी चाहिए। पूरे देश को पता चल जाएगा कि ये कानून कितने ख़तरनाक हैं। pic.twitter.com/ihFILkuCxy
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) December 27, 2020
केजरीवाल का कहना है कि केन्द्र सरकार ये बिल लाकर किसानों की अनदेखी कर रही है। केजरीवाल ने चुनौतीपूर्ण अंदाज में ये भी कहा कि केन्द्र को किसान नेताओं से खुली बहस करनी चाहिए। वहीं इसपर केन्द्र की तरफ से भी प्रतिक्रिया आई है। राजनाथ सिंह ने कहा है कि कोई भी किसानों की ज़मीन को नुकसान नहीं पहुंचा सकता। किसानों तो ऐसे बहकावे में नहीं आना चाहिए। साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि प्रधानमंत्री किसानों का कोई अहित नहीं होने देंगे।
लगातार कई दिनों से सियासी बयानबाजी और राजनीति के बीच देश के किसान सड़कों पर बैठे हैं। कल यानी 29 दिसम्बर को बातचीत होनी तय हुई है। उम्मीद है कि उस बातचीत से कोई समाधान निकल सकेगा। इस आन्दोलन के कारण आम लोगों को काफी दिक्कतें झेलनी पड़ रही हैं। साथ ही बहुत से किसान अपनी जान भी गंवा चुके हैं। सरकार को जल्द से जल्द इस आंदोलन का समाधान निकालना चाहिये।