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    अरुण जेटली

    सरकार इस वित्तीय वर्ष उन लोगों पर कतई रियायत बरतने के मूड में नहीं दिख रही है, जो बैंक से लोन लेकर उसे हजम कर जाते हैं। इस वित्तीय वर्ष सरकार करीब 1.8 लाख करोड़ रुपये के डूबे हुए कर्ज़ की रिकवरी की योजना बना रही है।

    वित्तीय सेवा सचिव राजीव कुमार ने कहा कि पिछले वर्ष सरकार ने करीब 75,000 करोड़ रुपये के डूबे हुए कर्ज़ की रिकवरी की थी, अब इस वित्तीय वर्ष सरकार करीब 1.8 लाख करोड़ रुपये के डूबे हुए कर्ज़ की तैयारी कर रहा है।

    वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी ये कहा है कि जिस प्रकार सार्वजनिक क्षेत्र की बैंक से दिये गए कर्ज़, जो बाद में न वापस न आ पाने पर डूबे हुए कर्ज़ की श्रेणी में आ जाते हैं, उन्हे रिकवर करने में ज्यादा मशक्कत करनी पड़ती है। उन्होने इसी में आगे जोड़ते हुए कहा कि “सरकार बिलकुल सही रास्ते पर है और इसी पर चलते हुए वो उस डूबे हुए कर्ज़ को रिकवर कर लेगी, जो यूपीए सरकार के कार्यकाल में दिया गया था।”

    मालूम हो कि इसके लिए सरकार ने पहले ही एक कानून बना लिया था, जिसका काम था कि वो इस तरह के डूबे हुए कर्ज़ से बैंकों को बचाए तथा उनकी रिकवरी के वक़्त बैंक कों मदद भी करे।

    अरुण जेटली ने ये भी कहा कि बैंकर्स को सरकार से बहुत सी उम्मीदें हैं और सरकार इस पर खरी उतरेगी। सार्वजनिक क्षेत्र की बैंकों में पैसे की कमी नहीं होने दी जाएगी।

    इसी के साथ उन्होने यह भी जोड़ा कि सरकार बैंकों के साथ मिलकर एनपीएके (डूबे हुए कर्ज़) की रिकवरी करेगी।

    मालूम हो कि एक एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार देश के ऊपर करीब 8 लाख करोड़ रुपये से भी ज्यादा डूबे हुए कर्ज़ का बोझ है, जिसे अब रिकवर करना सरकार के लिए चुनौती बन चुका है।

    एनपीए एक ऐसी समस्या बनकर उभरा है जिसका समाधान बेहद जरूरी है। एक तरह से देखा जाये तो एनपीए देश के विकास को भी बाधित कर रहा है। क्योंकि देश में डूबे हुए कर्ज़ की कुल कीमत वर्तमान में चल रही कई योजनाओं पर आने वाले कुल खर्च से भी अधिक है। हालाँकि अब देखना होगा कि सरकार कितनी जल्दी एनपीए की रिकवरी करती है।

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