उत्तराखण्ड सरकार ने अब विदेश यात्रा पर जाने वाले अधिकारियों पर नजर घुमा दी है। अधिकारियों को यात्रा से लौटने के 15 दिनों के अंदर अनुभव रिपोर्ट शासन के समक्ष प्रस्तुत करनी होगी। प्रदेश के तमाम अधिकारी विभिन्न योजनाओं और प्रशिक्षण के नाम पर विदेश दौरों पर जाते रहते हैं।
इसके बाद वे अपने अनुभवों को सरकार से साझा नहीं करते हैं। उनके इन दौरों से प्रदेश का क्या भला होगा, इस बारे में भी कोई जानकारी सरकार के पास नहीं होती है। वह अपनी अनुभव रिपोर्ट भी नहीं देते हैं। इसी कारण सरकार अब सख्त होने जा रही है।
इसकी शुरुआत स्वास्थ्य विभाग से हो गई है। इसके लिए विभाग के प्रभारी सचिव ने विदेश में हुए कार्यक्रम और कार्यशालाओं में जाने वाले अधिकारियों से 15 दिनों के अंदर रिपोर्ट देने को कहा है।
विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “बहुत लंबे समय से यह देखा गया है कि विभागों को अधिकारियों के विदेश दौरों का कोई फायदा नहीं मिल पाता। इसका मुख्य कारण है कि विदेश दौरों से लौटने के बाद अधिकारियों द्वारा इसकी कोई रिपोर्ट नहीं तैयार की जाती है। यह हालत तब है जब सरकार विदेश दौरों के लिए इसी शर्त पर अनुमति देती है कि वे इस संबंध में विभागीय सचिव अथवा प्रभारी सचिव को रिपोर्ट उपलब्ध कराएंगे।”
उन्होंने बताया, “वर्तमान समय में प्रदेश में 40 सरकारी विभाग हैं। इसके अधिकारी विदेशों में संबंधित विभागों से जुड़ी योजनाओं के प्रशिक्षण व प्रारूप अध्ययन के लिए जाते हैं। ताकि सरकारी कार्यो के साथ ही नई योजनाओं में उनके अनुभवों का लाभ उठाया जा सके। लेकिन यहां हालत कुछ और है। न तो विदेश से आने के बाद अधिकारी रिपोर्ट बनाने के इच्छुक होते हैं और न ही शासन इसमें कोई रुचि दिखाता है।”