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    देशभर में सरकारी कार्यों के पुरे होने पर अकसर ‘टेंडर’ शब्द का इस्तेमाल होता है। टेंडर का अर्थ होता है किसी कार्य का ठेका देना। किसी भी सरकारी कार्य में अधिकारी अकसर इसके लिए किसी तीसरी पार्टी को ठेका देते हैं। इसके चलते किसी भी सरकारी योजना के तहत ठेकेदार बड़ी मात्रा में घोटाला करते थे।

    मोदी सरकार ने ठेकेदारों के इस जाल को खतम करने की योजना बना ली है। सरकार ने सरकारी कार्यों के लिए जरूरत पड़ने वाली चीजों के लिए एक सरकारी ई-दूकान शुरू की है। इसके तहत सामान बेचने वाले व्यापारी अपने सामानों की जानकारी वेबसाइट पर डाल देंगे। इसके बाद सरकार इसे सीधा यहाँ से खरीदेगी।

    इस योजना के जरिये बीच में कमीशन लेने वाले सभी लोग खतम हो जाएंगे। इसके अलावा इस योजना से सरकारी विकास कार्य जल्दी पूरा हो सकेंगे।

    सरकार ने पिछले साल अगस्त में ही इस योजना का सुभारम्भ कर दिया था। पिछले करीबन 10 महीनों में इस वेबसाइट से करीबन 454 करोड़ रुपयों की खरीददारी हो चुकी है।

    इस वेबसाइट के जरिये सरकारी कार्यालयों के लिए जरूरी चीजों जैसे लैपटॉप, ऐसी, फर्नीचर, पैन एवं अन्य वस्तुएं उपलब्ध होंगी।

    इस योजना के तहत सरकार का मानना है कि प्रत्येक कार्य में काफी हद तक खर्चा कम हो जाएगा। जांच से यह पता चला है कि इस योजना के शुरू होने के बाद सरकारी खर्चे में 15-20 फीसदी की कटौती हुई है।

    कुछ समय पहले केंद्र सरकार ने सभी राज्य सरकारों से यह अपील की थी, कि वे अपनी जरूरत का सामान इसी वेबसाइट के जरिये खरीदें। सरकार इस वेबसाइट को अब निजी कंपनियों के हवाले कर सकती है।

    हालाँकि यह वेबसाइट सरकारी आदेशों के तहत की चलायी जायेगी, इसके संचालन के लिए सरकार एक विशेष टीम को रख सकती है।

    सरकार ने इसे चलाने के लिए कंपनियों को कुल कमाई का 0.5 फीसदी देने की शर्त रखी है। इसके बाद फ्लिपकार्ट, अमेज़न जैसी वेबसाइटों ने इसके संचालन के लिए आवेदन किया है।

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।