समाजवादी पार्टी (सपा) ने भी अब एक व्यक्ति और एक पद का फॉर्मूला लागू करके संगठन को मजबूत बनाने की योजना बनाई है। सपा संगठन में अब ऐसे लोगों को पद देगी, जो सिर्फ संगठन को ही संभालें और दूसरी उम्मीद न रखें।
समाजवादी पार्टी मिशन 2022 के मद्देनजर अपने संगठन का विस्तार करने जा रही है। अभी हाल में नियुक्त किए गए जिलाध्यक्षों को अब चुनाव लड़ने की इजाजत नहीं मिलेगी। वह पूरा समय संगठन को मजबूत बनाने का काम करेंगे।
सपा सूत्रों का कहना है इस बार पार्टी अपना ढांचा भाजपा के बराबर मजबूत करना चाहती है। इसलिए वह सारे ऐसे फॉर्मूले लागू करेगी, जिससे कहीं उसे मुंह की न खानी पड़े।
सूत्र बताते हैं कि संगठन के जिम्मेदार पदों पर बैठे पदाधिकारियों को पूरा समय संगठनात्मक गतिविधियों में देना होगा, ताकि सत्ताधारी दल से मजबूती से निपटा जा सके। संगठन और जनप्रतिनिधियों को एक-दूसरे का पूरक बनाने की रणनीति पर सपा अपना संगठन खड़ा करने का प्रयास कर रही है।
समाजवादी पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि चुनाव के नजदीक आते ही हमारे पार्टी पदाधिकारी टिकट के जुगाड़ में संगठन को भूलकर लग जाते हैं। ऐसे में वहां पर संगठन को नुकसान उठाना पड़ता है। भाजपा और अन्य विरोधी दल इसका फायदा उठाने का प्रयास करते हैं। इसलिए अब ऐसी व्यवस्था बनाई जा रही है कि संगठन का काम चुनावी समय में प्रभावित न हो, इसलिए पदाधिकारियों को नियुक्त करने से पहले उनको टटोला जा रहा है। खासकर जिलाध्यक्षों और महानगर अध्यक्षों से लिखकर मांगा जा रहा है कि वे सिर्फ संगठन के लिए ही काम करेंगे।
सपा प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी का कहना है, “अभी चुनाव में बहुत समय है। इस बार भाजपा से त्रस्त जनता खुद ही चुनाव की तैयारी कर रही है। सपा अभी संगठन को तेजी से मजबूत करने में लगी हुई है।”