वार्षिक पूजा के लिए सबरीमाला मंदिर खुलने के बाद से वहां के हालात ख़राब होते जा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध करने वाले भक्तों और सरकार में टकराव की नौबत आ गई है। 60 के करीब श्रद्धालुओं की गिरफ्तारी के बाद भाजपा और संघ के कार्यकर्ताओं ने केरल के मुख़्यमंत्री के आवास के बाहर रविवार देर रात विरोध प्रदर्शन किया।
भक्त सनीधानम के नदापंथल इलाके में विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। जबकि पुलिस ने उन्हें क्षेत्र में रात में रुकने की अनुमति नहीं थी। रात भर रुकने की अनुमति नहीं मिलने के बाद भी जब वो वहां से नहीं गए तो पुलिस ने कुछ लोगों को हिरासत में ले लिया।
केंद्रीय मंत्री केजे अल्फांसो ने भक्तों की गिरफ्तारी को इमरजेंसी जैसे हालात करार दिया। अल्फोन्स आज तीर्थयात्रियों के सुविधाओं का जायजा लेने के लिए सबरीमाला यात्रा करने वाले हैं। श्री अल्फोन्स ने कहा कि वह तीर्थयात्रियों को प्रदान की गई सुविधाओं की समीक्षा करना चाहते है।
नौकरशाह से नेता बने अल्फांसो ने तीर्थयात्रियों पर कार्रवाई के लिए केरल सरकार की भी आलोचना की। उन्होंने कहा ‘यहां आपातकाल से भी बदतर स्थिति हो रही है। भक्तों को जाने की इजाजत नहीं है। बिना किसी कारण के क्षेत्र में धारा 144 लगाया गया है। भक्त आतंकवादी नहीं हैं। उन्हें 15,000 पुलिसकर्मियों की आवश्यकता क्यों है?’
रविवार को भाजपा और कांग्रेस की कांग्रेस इकाई ने तिरुअनंतपुरम में मुख्यमंत्री के सरकारी आवास के बाहर भारी विरोध प्रदर्शन किया।
इस बीच तारावणकोर देवस्वाम बोर्ड, जो सबरीमाला मंदिर का प्रबंधन करता है, सुप्रीम कोर्ट से सितंबर के आदेश को लागू करने के लिए और समय मांगने के लिए अपील करने वाला हैं। सुप्रीम कोर्ट ने सितम्बर में अपने फैसले में सबरीमाला मंदिर में 10 वर्ष से 50 वर्ष तक की आयुवर्ग की महिलाओं के प्रवेश पर से प्रतिबन्ध हटाने का निर्देश दिया था जिसके बाद इस फैसले के खिलाफ पुरे केरल में भरी विरोध प्रदर्शन हुआ।
भाजपा और कांग्रेस के भी भारी विरोध प्रदर्शन के बाद इस मामले ने रराजनीतिक रंग ले लिया है।