सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ जिन्होंने सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के ऊपर दर्ज़ 50 याचिकाओं की सुनवाई शुरू की थी, उन्हें बताया गया है कि धार्मिक स्थलों में भेदभाव पर संवैधानिक बार लागू नहीं होता।
वरिष्ठ वकील के परासरण जो नैयर सर्विस सोसाइटी की तरफ से पेश हुए थे, उन्होंने पीठ को बताया कि अनुच्छेद 15 में से धार्मिक स्थलों हो हटा दिया गया है जिसके तहत लिखा गया था कि धर्म, जात और लिंग के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा।
उनके मुताबिक, “इस पहलू पर विचार करने की चूक से रिकॉर्ड पर एक गलती दिखाई देती है।” नैयर सर्विस सोसाइटी उन 60 पार्टियों में से है जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट के सितम्बर वाले फैसले को चुनौती दी थी।
फैसले के अनुसार, मासिक धर्म की हर महिला मंदिर में प्रवेश कर सकती है। मगर श्रद्धालुओं के विरोध प्रदर्शन के कारण ये मुमकिन नहीं हो पाया।