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    सर्वोच्च न्यायालय के ओर से सबरीमला मंदिर में सभी उम्र के महिलाओं को प्रवेश देने के आदेश के बाद, सबरीमला देवस्थान के तंत्री(मुख्य पुरोहित) और पंडालम के राज परिवार के ओर से नाराजगी जताई जा चुकी हैं।

    सर्वोच्च न्यायलय के आदेश को लागू करने के लिए बाध्य केरल सरकार के मुश्किलें पुरोहित और शाही परिवार के इस रवय्ये के वजह से बड रहीं हैं।

    केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के चर्चा प्रस्ताव को ठुकराते हुए सबरीमला के मुख्य पुरोहित कंडारारु मोहनारु ने कहा, “सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए फैसले के विरुद्ध हमने पुनर्विचार याचिका दायर की हैं। इस याचिका पर न्यायालय के फैसले के बाद ही आगे क्या करना हैं, यह तय किया जाएगा। इससे पहले राज्य सरकार से वार्ता निरर्थक हैं।”

    उन्होंने कहा, देवस्थान का यह निर्णय नायर सर्विस सोसाइटी के नेतृत्व के साथ चर्चा के बाद लिया गया हैं। नायर सर्विस सोसाइटी, सवर्ण नायर समुदाय का संगठन हैं। सबरीमला देवस्थान के देखरेख की जिम्मेदारी इसी समुदाय के अधीन हैं।

    इसीबीच भूतपूर्व संस्थान पंडालम के शाही परिवार के सदस्य आर आर वर्मा ने कहा, “राजपरिवार चाहता हैं की मंदिर में  सदियों से चली आ रही प्रथाओं को संजोने की जरुरत हैं। शीर्ष अदालत के फैसले के बाद ही, यह तय किया जाएगा की अदालत के निर्णय को किस प्रकार लागू किया जाए।”

    “सरकार ने देवास्वोम बोर्ड को पुनर्विचार याचिका दाखिल करने के लिए निर्देश देने चाहिए थे। लेकिन सरकार कोर्ट के आदेश को लागू करने के लिए हमसे(राज परिवार) चर्चा क्यों करना चाहती हैं।”

    सुप्रीमकोर्ट के आदेश के बाद केरल में अक्यी जगहों पर आन्दोलन किए गए, जिसके बाद मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के केन्द्रीय समिति ने राज्य सरकार को इस कोर्ट के आदेश को लागू करने के लिए अनुकूल वातावरण तयार करने के निर्देश दिए थे। जिसके बाद राज्य सरकार के ओर से पंडालम के राजपरिवार को चर्चा के आमंत्रण भेजा था।

    By प्रशांत पंद्री

    प्रशांत, पुणे विश्वविद्यालय में बीबीए(कंप्यूटर एप्लीकेशन्स) के तृतीय वर्ष के छात्र हैं। वे अन्तर्राष्ट्रीय राजनीती, रक्षा और प्रोग्रामिंग लैंग्वेजेज में रूचि रखते हैं।

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