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    केरला के सबरीमाला देवस्थान में 10 से 50 साल के महिलाओं के प्रवेश पर बंदी के विरुद्ध दाखिल याचिका पर सर्वोच्च न्यायलय शुक्रवार अपना फैसला सुना सकता हैं।

    मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के अध्यक्षतावाली पांच जजों के पीठ ने इस याचिका पर आठ दिनों तक सुनवाई करने के बाद इस साल, एक अगस्त को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस पीठ में मुख्य न्यायाधीश समेत आर एफ नरिमान, ए एम खानविलकर, डी वाय चंद्रचूड और इंदु मल्होत्रा जैसे वरिष्ट न्यायाधीश भी शामिल हैं।

    इंडियन यंग लॉयर्स एसोसिएशन और अन्य द्वारा दायर याचिका पर सर्वोच्च न्यायलय अपना फैसला सुनाएगा। हालाँकि केरला सरकार ने अपना रुख बदलते हुए, जिन महिलाओं का मासिक धर्म चालु हैं ऐसे सभी महिलाओं के मंदिर में प्रवेश को लेकर सहमती दर्शायी हैं। सुप्रीमकोर्ट को दिए जवाब में केरला सरकार ने कहा, “राज्य सरकार सभी महिलाओं को सबरीमला मंदिर में प्रवेश दिए जाने के पक्ष में हैं।”

    इस याचिका पर सुनवाई करते समय, पिछले साल 13 अक्टूबर को सुप्रीमकोर्ट के एक बेंच ने इस केस को संविधान पीठ को हस्तांतरित किया था। केस को हस्तांतरित करते हुए पीठ ने संविधान पीठ के सामने 5 अहम सवाल भी रखे थे।

    संविधान पीठ के सामने रखे गए सवालों में, क्या महिलाओं के मंदिर में प्रवेश को वर्जित किए जाने से भेदभाव की भावना उत्पन्न हो रही हैं और क्या इससे व्यक्ति के मौलिक आधिकारों का हनन तो नहीं हो रहा, यह सवाल भी शामिल हैं।

    By प्रशांत पंद्री

    प्रशांत, पुणे विश्वविद्यालय में बीबीए(कंप्यूटर एप्लीकेशन्स) के तृतीय वर्ष के छात्र हैं। वे अन्तर्राष्ट्रीय राजनीती, रक्षा और प्रोग्रामिंग लैंग्वेजेज में रूचि रखते हैं।

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