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    कांग्रेस के लिए छोड़ दी दो सीटें, सपा-बसपा की 'राजनीतिक क्रांति'

    लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में भाजपाव कांग्रेस को टक्कर देने के लिए समाजवादी पार्टी नेता अखिलेश यादव व बहुजन समाजवादी पार्टी की मुखिया मायावती ने गठबंधन कर चुनाव लड़ने का तय किया था। इस बाबत दोनों के बीच हुई सीटों के बंटवारे की अधिकारिक घोषणा गुरुवा को हो गई है।

    सीटों के विभाजन के बाद सपा को हिस्से में 37 सीटें तो वहीं बसपा के खाते में एक अधिक यानी 38 सीटें आई हैं। गुरुवार को दोनों नेताओं ने साथ आकर अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों की सूची मीडिया को सौंपी।

    सपा के हिस्से में आई सीटों में कैराना, मुरादाबाद, संभल, रामपुर, मैनपुरी, फिरोजाबाद, बदायूं, बरेली, लखनऊ, इटावा, कानपुर, कन्नौज, झांसी, बांदा, इलाहाबाद, कौशाम्बी, फूलपुर, फैजाबाद, गोंडा, गोरखपुर, आजमगढ़, वाराणसी और मिर्जापुर आदि शामिल है।

    वहीं बसपा के पास सहारनपुर, बिजनौर, नगीना, अलीगढ़, आगरा, फतेहपुर सीकरी, धौरहरा, सीतापुर, सुल्तानपुर, प्रतापगढ़, कैसरगंज, बस्ती, सलेमपुर, जौनपुर, भदोही, देवरिया और अन्य निर्वाचन क्षेत्र हैं।

    दोनों पार्टियों ने बीते महीने में गठबंधन की घोषणा की थी। शुरुआत में दोनों ने बराबर सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने की घोषणा की थी लेकिन कल जो सूची सामने आई उसमें बसपा के पास सपा के मुकाबले एक अधिक सीट है।

    राष्ट्रीय लोकदल (आऱएलडी) के भी इस गठबंधन में शामिल होने की खबरें आ रही हैं। अगर यह हुआ तो उम्मीद है कि 3 सीटें उसके खेमे में जाएंगी।

    गठबंधन की घोषणा करने के समय ही दोनों पार्टी प्रमुखों ने बताया था कि वे कांग्रेस के गढ़ व सोनिया गांधी व राहुल गांधी की सीट अमेठी और रायबरैली से अपनी उम्मीदवार नहीं उतारेंगे। बाद में कांग्रेस ने प्रियंका गांधी वाड्रा व ज्योतिरादित्य सिंधिया को यूपी का सचिव बना दिया। फिलहाल वे दोनों पार्टी के पकड़ मजबूत करने में लगे हुए हैं।

    अखिलेश यादव ने इस गठबंधन को ‘राजनीतिक क्रांति’ का नाम दिया है।

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