1984 में सिख विरोधी दंगो में उम्र कैद की सजा मिलने के बाद पूर्व संसद और कांग्रेस नेता कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी को कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से अपना इस्तीफ़ा सौंप दिया। उन्होंने इस्तीफा में लिखा “मैं दिल्ली के माननीय उच्च न्यायालय के फैसले के चलते भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से तत्काल प्रभाव से अपना इस्तीफा दे रहा हूं।”
दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस एस मुरलीधर और जस्टिस विनोद गोयल ने 1984 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी की हत्या के बाद भड़के सिख विरोधी दंगों के केस में ट्रायल कोर्ट के फैसले को पलटते हुए एक परिवार के 5 लोगों को मारने के आरोप में उम्र कैद की सजा सुनाई। उन्हें 31 दिसंबर तक खुद को पुलिस के सामने आत्मसमर्पण करने का वक़्त दिया गया है।
कुमार ने 2004 में यूपीए -1 के दौरान लोकसभा में चुने जाने से पहले 80 के दशक में दिल्ली राजनीतिक हलकों के काफी प्रसिद्धि पाई। अदालत ने अपने फैसले में कहा, “बड़े पैमाने पर अपराधों के लिए जिम्मेदार अपराधियों ने दंड से बचने के लिए राजनीतिक संरक्षण और प्रबंधन का आनंद लिया है । ऐसे अपराधियों को न्याय में लाकर हमारे कानूनी तंत्र को गंभीर चुनौती मिलती है। दशक गुजर जाते हैं उन्हें अपराध के लिए उत्तरदायी घोषित करने में।”
30 अप्रैल, 2013 को कुमार को एक विशेष सीबीआई अदालत ने बरी कर दिया था, जबकि पांच अन्य आरोपी अपराध के दोषी थे। अदालत ने उनके खिलाफ सबूतों की कमी का हवाला दिया। सीबीआई और दंगों के पीड़ितों ने दिल्ली उच्च न्यायालय में कुमार के बरी होने के खिलाफ अपील दायर की थी। इस मामले में दोषी अन्य लोगों ने भी खुद को दोषी घोषित किये जाने के खिलाफ अपील दायर की थी। सभी अपीलों को एक साथ सुना गया था और निर्णय 27 अक्टूबर तक के लिए सुरक्षित रख लिया गया था।
उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि आरोपी को तीन प्रत्यक्षदर्शी के साहस और दृढ़ता के कारण न्याय की परिधि में लाया गया है।