सचिन तेंदुलकर मंगलवार को दिल्ली में बीसीसीआई के लोकपाल और पूर्व न्यायमूर्ति डीके जैन के साथ व्यक्तिगत रूप से रूचि के मामले में पेश हुए। लेकिन सुनवाई का कोई महत्वपूर्ण निष्कर्ष नहीं था क्योंकि मामले को 20 मई के लिए टाल दिया गया है। अगली सुनवाई में तेंदुलकर की उपस्थिति जरूरी नहीं है।
24 अप्रैल को, 46 वर्षीय दिग्गज खिलाड़ी के ऊपर हितो के टकराव के लिए शिकायत दर्ज करवाई गई थी जिसमें यह कहा गया था कि वह एक मुंबई इंडियंस की फ्रेंचाईजी के लिए आइकन और दूसरी और क्रिकेट सलाहकार समिति के सदस्य के रूप में दोहरी भूमिका में है। यह शिकायत मध्य प्रदेश क्रिकेट ऐसोसिएशन (एमपीसीए) के सदस्य संजीव गुप्ता द्वारा दर्ज करवाई गई थी।
इस महीने की शुरुआत में, तेंदुलकर ने हितो के टकराव को खारिज कर दिया था और बीसीसीआई को एक पत्र लिखा था, जिसमें उन्होने पूछा था कि वास्तव में हितों का टकराव क्या है।
इसके अलावा, क्रिकेट आइकन ने न्यायधीश डी के जैन से अनुरोध किया है कि वे प्रशासकों की समिति (सीओए) के प्रमुख विनोद राय और बीसीसीआई के सीईओ राहुल जौहरी को “अपनी स्थिति स्पष्ट करने के लिए” कहें।
उन्होंने आगे कहा, “बीसीसीआई की प्रतिक्रिया इस विचलन को उसके रुख में स्पष्ट नहीं करती है और नोटिस माननीय नैतिक अधिकारी से बीसीसीआई अधिकारियों, श्री राहुल जौहरी और श्री विनोद राय से इस स्थिति को स्पष्ट करने का अनुरोध करता है।”
तेंदुलकर की प्रतिक्रिया ने यह भी कहा कि एक संरक्षक या एक ‘आइकन’ टीम के अधिकारी की परिभाषा में शामिल नहीं है और उनकी भूमिका युवा टीम के सदस्यों को मार्गदर्शन, आदान-प्रदान और प्रेरणा प्रदान करने तक सीमित है।
उन्होने आगे लिखा था, “एक संरक्षक या एक ‘आइकन’ टीम के अधिकारी की परिभाषा में शामिल नहीं है। यह इस तथ्य से और भी स्पष्ट हो जाता है कि परिभाषा के लिए किसी व्यक्ति को एक टीम या फ्रेंचाइजी के साथ आधिकारिक क्षमता में शामिल होना आवश्यक है। इस नोटिस को दोहराया गया। उन्होंने कहा कि फ्रेंचाइजी के पास कोई आधिकारिक पद नहीं है। उनकी भूमिका युवा टीम के सदस्यों को मार्गदर्शन, आदान-प्रदान और प्रेरणा प्रदान करने तक सीमित है।”
सचिन के साथ-साथ हितो के टकराव मामले में वीवीएस लक्षम्ण भी शामिल है। लेकिन दोनो दिग्गज खिलाड़ियो ने हितो के टकराव मामले के आरोपो को खारिज करते हुए बीसीसीआई पर आरोप लगाया है और कहा कि उन्होने उनकी भूमिका के बारे में स्पष्ट नही बताया है।