सऊदी अरब के नज़रबंद शिविरों में बुधवार को करीब 650 रोहिंग्या शरणार्थियों ने खाड़ी देश में अनिश्चितकाल नज़रबंद कर रखने के लिए भूख हड़ताल की थी और यह इस माह में तीसरी बार हुआ है। शरणार्थियों को साल 2012 में वैध दस्तावेज न होने के कारण जेद्दाह के शुमैसी नज़रबंद केन्द्रो में रखा गया है और शरणार्थियों ने शनिवार को भूख हड़ताल की शुरुआत की थी।
मुक्त रोहिंग्या गठबंधन के समन्वयक रो नैय सन ने कहा कि “नज़रबंद केन्द्रो के 10 कमरों में अभी भी भूख हड़ताल जारी है। मंगलवार को हालात बिगड़ने के बाद सात सदस्यों को तुरंत अस्पताल ले जाना पड़ा था। प्रवासी पुलिस उनका शोषण कर रही है और कह रही है कि अगर तुम इस भूख हड़ताल को जारी रखोगे तो हम तुम्हे पानी भी नहीं देंगे।”
कार्यकर्ता के ट्वीटर पर वीडियो को देखने के बाद युरोपिन रोहिंग्या कॉउन्सिल एनजीओ के चेयरमैन अम्बिआ प्रवीन ने अल जजीरा से कहा कि “पुलिस ने शरणार्थियों से कम्बल, तकिये, कमीजें और अन्य जरूरतमंद सामान छीन लिया है।” म्यांमार के रखाइन प्रान्त में सेना की हिंसा से बचने के लिए अधिकतर रोहिंग्या मुस्लिम बेहतर जीवन की तलाश में साल 2012 में सऊदी अरब आये थे।
#Rohingya detainees inside Shumaisi detention centre in #Jeddah of #SaudiArabia have begun a hunger strike since last Saturday. These Rohingya detainees must be released on humanitarian grounds. Some of them are in detention for 7 years. https://t.co/VCoW8AaVvv@KingSalman pic.twitter.com/xaE3v13MUn
— Ro Nay San Lwin (@nslwin) April 16, 2019
सऊदी अरब में प्रवेश के बाद उनके फिंगर प्रिंट्स को विभिन्न राष्ट्रीयता से पंजीकृत कर लिया था। शरणार्थियों को जाली पासपोर्ट भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल और श्रीलंका के दलालो में मुहैया किये हैं। अधिकतर रोहिंग्या शरणार्थियों ने सऊदी अरब में श्रद्धालु के तौर पर प्रवेश किया था लेकिन कार्य के लिए वही रुक गए। वे कई प्रवासी नाकेबंदी पर चेकिंग और छापेमारी के दौरान पकड़े गए थे।
कार्यकर्ता ने कहा कि “रोहिंग्या मुस्लिमों ने कोई अपराध नहीं किया है। उनका जुर्म सिर्फ इतना है कि उनके पास वैध रेजिडेंट परमिट नहीं है, इसी कारण उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है।” मौजूदा वक्त में करीब 10 लाख लोग बांग्लादेश के शिविरों में शरण लेने के लिए मज़बूर है। म्यांमार की सेना ने साथ 2017 में रोहिंग्या मुस्लिमों के खिलाफ बर्बर अभियान की शुरुआत की थी।