इराक ने रविवार को इस दावे को खारिज किया कि उनकी सरजमीं का इस्तेमाल सऊदी अरब की तेल कंपनियों पर ड्रोन हमले के लिए किया गया था। इराक के प्रधानमन्त्री की प्रेस सर्विस ने बयान में कहा कि “उनका मुल्क पड़ोसियों के प्रति इस प्रकार की आक्रमक कार्रवाई के लिए अपनी सरजमीं के इस्तेमाल की अनुमति नहीं देगा।”
इराक की सरजमीं से सऊदी पर हमला
उन्होंने कहा कि “रिपोर्ट्स और सऊदी अरब के तेल उत्पादनों में हमले की समीक्षा के लिए विभागों ने एक समिति का गठन किया है।” वाल स्ट्रीट जनरल की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी अधिकारी इसकी सम्भावनाये तलाशने में जुटे हैं कि यह हमला यमन से नहीं बल्कि इराक के दक्षिणी भाग से लांच किया गया है।
यमन के हौथी विद्रोहियों ने इस हमले की जिम्मेदारी ली थी और अमेरिका ने इसका जिम्मेदार ईरान को ठहराया था। ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी और विदेश मंत्री जावेद जरीफ के सन्दर्भ में राज्य सचिव माइक पोम्पियो ने ट्वीट कर कहा कि सऊदी अरब पर करीब 100 हमलो के पीछे ईरान है जबकि रूहानी और जरीफ कूटनीतिक गतिविधियों में उलझे हैं।
उन्होंने कहा कि “तनाव को कम करने की सभी मांगो के बावजूद तेहरान ने विश्व की ऊर्जा सप्लाई पर हमला किया है। यमन से हमला करने के कोई सबूत नहीं मिल रहे हैं।” हालाँकि पोम्पियो ने ईरान के इस हमले के पीछे होने के कोई सबूत मुहैया नहीं किये हैं।
यमन के हौथी विद्रोहियों ने शनिवार को सऊदी अरब की अरामको तेल कंपनी की फैक्ट्रीयो पर ड्रोन से हमला करने की जिम्मेदारी ली थी। यह दुनिया में सबसे अधिक तेल उत्पादन करने वाली फैक्ट्री हैं और इसमें आग लग गयी थी।
पश्चिम समर्थित सुन्नी मुस्लिम गठबंधन सऊदी अरब और यूसी ने यमन में साल 2015 में दखल दिया था।, ताकि अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त यमन की सरकार को वापस सत्ता पर बैठाया जा सके। हौथी विद्रोहियों का देश के अधिकतर भागो पर नियंत्रण है। इसमें राजधानी सना भी शामिल है और साल 2014 के अंत में राष्ट्रपति अब्द रब्बू मंसूर हदी की अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त सरकार को सत्ता से हटने के मज़बूर किया था।