सऊदी अरब ने सोमवार को क़तर की आलोचना की थी क्योंकि मेक्का में आयोजित वार्ता के परिमाण को मानने से दोहा ने इंकार दिया था। इस दौरान ईरान के साथ क्षेत्रीय तनाव के बाबत बातचीत की गयी थी। इसके अलावा संयुक्त अरब अमीरात ने दोहा पाए सम्मेलन के निष्कर्ष से पीछे हटने का आरोप लगाया था।
दोहा ने मेक्का में आयोजित बैठक के बाद रविवार को वार्ता के परिणामो को स्वीकार करने से इंकार कर दिया था और कहा कि इस पर पर्याप्त तरीके से चर्चा नहीं की गयी थी। सऊदी अरब के विदेश राज्य मंत्री आदेल अल जुबेर ने दोहा पर पलटवार किया था।
उन्होंने ट्वीटर पर कहा कि “परंपरा के तहत सम्मेलन के दौरान देशों ने अपनी स्थितियों और संदेहो का ऐलान किया था और यह बैठक के बाद नहीं किया जाता।” सऊदी अरब ने बीते सप्ताहांत में तीन बैठकों की मेज़बानी की थी। बादशाह सलमान ने चेताया था कि खाड़ी क्षेत्र में आतंकी हमले वैश्विक ऊर्जा निर्यात को प्रभावित कर सकते हैं।
हाल ही में सऊदी अरब की तेल पाइपलाइन में ड्रोन से हमला किया गया था और इसका आरोप रियाद ने ईरान के माथे फोड़ा था हालाँकि तेहरान ने इसमें शामिल होने से साफ़ इंकार कर दिया था।
मोहम्मद बिन अब्दुलर्रहमान अल थानी ने कहा कि “क़तर को अरब और खाड़ी सम्मेलनों पर संदेह है क्योंकि उनके कुछ नियम दोहा की विदेश नीति से उलट है।” यूएई के विदेश राज्य मंत्री अनवर गरगाश ने दोहा पर दबाव में कमजोर बनने का आरोप लगाया है।
उन्होंने कहा कि “बैठक में मौजूदगी और रज़ामंदी और अब निर्णय से पीछे हटना, सम्प्रभुता की कमी या नापाक मंसूबे या विश्वसनीयता की कमी को दर्शाता है या सभी तथ्य भी इसके पीछे हो सकते हैं।”
बहरीन, मिस्र और यूएई भी क़तर पर इस्लामिक आंदोलनों और ईरान के समर्थन का आरोप लगाते हैं जिससे दोहा इंकार करता है।