सऊदी अरब (Saudi Arabia) की सेना ने ईरान (Iran) समर्थिती यमन (Yemen) के विद्रोहियों के तरफ से दागे गए पांच ड्रोन्स को नष्ट कर दिया है। रियाद के सैन्य गठबंधन ने इसकी जानकारी दी थी। सल्तनत के एयरपोर्ट पर यह दो दिनों में दूसरा हमला था। ड्रोन्स ने आभा एयरपोर्ट को निशाना बनाया था।
इस हवाईअड्डे पर बुधवार को हमले में 26 नागरिक जख्मी हुए थे और यह खमिस मुशाइत शहर के नजदीक है। क्षेत्रीय तनाव बढ़ने के बाद यह हमला किया गया है। हाल ही में अमेरिका ने ओमान की खाड़ी में दो टैंकरों पर हमले का आरोप ईरान के माथे थोपा था।
बीबीसी के मुताबिक रणनीतिक समुंद्री मार्ग पर एक महीने में यह दूसरा ऐसा हादसा है। गठबंधन ने बयान में कहा कि “सऊदी की शाही वायु सेना और रक्षा सेना ने हौथी विद्रोहियों द्वारा आभा इंटरनेशनल एयरपोर्ट की तरफ दागे ड्रोन को सफलतापूर्वक देखा और नष्ट कर दिया है।”
बयान के मुताबिक, एयरपोर्ट को अब सामान्य तौर पर संचालित किया जा रहा है। हौथी के अल मसिरह टीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, ईरान समर्थित हौथी विद्रोहियों ने ड्रोन हममले को अंजाम दिया था। विद्रोही साल 2015 से गठबंधन की बमबारी को झेल रहे हैं जिसमे नागरिकों की मौत का आंकड़ा काफी भारी है।
हालिया हफ्ते में विद्रोहियों ने सीमा पार से गठबंधन के हवाईअड्डों पर मिसाइल और ड्रोन हमलो को तीर कर दिया है। मिसाइल पर्वतीय रिसोर्ट आभा पर गिरी थी। भीषण गर्मी से बचने के लिए यह सऊदी के नागरिकों के लिए बेहतरीन स्थान है। गगुरुवार को एयरपोर्ट के दौरे पर सऊदी विभाग ने कहा कि “हमले के बाद सऊदी के अर्रिवाल लाउन्ज को बंद कर दिया है।
एक भारतीय यात्री सहित दो को चोट आयी है। मानव निगरानी समूह ने इस हवाई हमले को युद्ध अपराध करार दिया था। मिडिल ईस्ट डायरेक्टर मिचेल पेज ने कहा कि “हौथियों को सऊदी अरब में नागरिक संरचनाओं पर हमले रोक देने चाहिए। यमन पर सऊदी गठबंधन के गैरकानूनी हमले कभी सऊदी के नागरिकों पर हौथी के हमले को सही साबित नहीं कर सकेगा।”
सऊदी के नागरिक उड्डयन अधिकारी ने कहा कि “हम विद्रोहियों के दावे की जाँच कर रहे हैं कि उन्होंने ही एयरपोर्ट पर मिसाइल हमला किया था।” सऊदी अरब ने ईरान पर निरंतर विद्रोहियों को हथियार मुहैया करने के आरोप लगाया है जिससे ईरान इंकार करता है।
गठबंधन ने साल 2015 में यमन सरकार के समर्थन के लिए यमन की सरहद पर संघर्ष शुरू किया था। इस संघर्ष की शुरुआत से हज़ारो नागरिकों की मौत हुई थी। यूएन ने इसे विश्व का सबसे भयावह मानवीय संकट बताया था। यह 2.4 करोड़ नागरिकों को तत्काल सहायता की जरुरत है।