अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सोमवार को कहा कि “ऐसा लगता है कि सऊदी अरब की तेल कंपनियों में ड्रोन हमले के पीछे ईरान का हाथ है।” उन्होंने कहा कि “दिखने में ऐसा ही लगता है कि अरामको की कंपनियों में ड्रोन हमले का कसूरवार ईरान है।”
व्हाइट हाउस में पत्रकारों से बात करते हुए “ऐसा मुमकिन है कि इन हमलो के पीछे ईरान है।” उन्होंने जोर देते हुए कहा कि वह ईरान के साथ कोई जंग शुरू नहीं करना चाहते हैं। मैं जानता हूँ कि वह समझौता करना चाहते हैं। किसी मौके पर यह जरुर मुमकिन होगा।”
ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने कहा कि “ड्रोन हमले के मामले पर मैं सुरक्षा कारणों को रेखांकित करना चाहता हूँ। हर दिन यमन में बमबारी की जाती है और मासूम नागरिको की हत्या की जाती है। यमन में नागरिको के खिलाफ निरंतर हथियारों के इस्तेमाल से यमन के नागरिक जवाब देने के लिए मजबूर हो गए हैं। यमन के नागरिको को खुद को इस हमले से बचाना है।”
शनिवार को सऊदी अरब की राज्य कंपनी अरामको की दो तेल उत्पादन साइट्स पर ड्रोन से हमला किया गया था जिसकी जिम्मेदारी यमन के हौथी विद्रोहियों ने ली थी। इस वारदात से कुल उत्पादन में रोजाना 57 लाख बैरल को कम कर दिया गया है।
अमेरिका के राज्य सचिव माइक पोम्पियो ने 15 सितम्बर को कहा था कि “सऊदी की तेल कंपनियों पर ईरान ने ही हमला किया है।” हालाँकि ईरानी राष्ट्रपति ने इस हमले के आरोप को खारिज कर दिया था।
जावेद जरीफ ने ट्वीट कर कहा कि “अधिकतम दबाव की नीति में नाकाम होकर, सचिव पोम्पियो ने इसे अधिकतम छल में परिवर्तित कर दिया है। अमेरिकी सहयोगी यमन की जंग में इस कल्पना के कारण फंसे हुए हैं कि हथियार सर्वोच्चता से सैन्य जीत हासिल की जा सकती है। ईरान पर आरोप लगाकर इस आपदा से नहीं बचा जा सकता है। शायद अप्रैल 2015 के हमारे प्रस्ताव को स्वीकार करके और वार्ता शुरू कर यह संभव है।”