सऊदी अरब में 37 नागरिकों को आतंकवाद से ताल्लुक रखने के जुर्म में फांसी की सज़ा दे दी गयी थी। ईरान के विदेश मंत्री मोहम्मद जावेद जरीफ ने इस मामले पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के प्रशासन की चुप्पी की निंदा की है।
37 लोगो का सिर कलम
जावेद जरीफ ने ट्वीटर पर लिखा कि “एक पत्रकार की हत्या को भुलाया जा चुका है, एक दिन में सऊदी अरब में 37 लोगो को मौत के फंदे पर चढ़ा दिया गया है इस पर भी ट्रम्प प्रशासन के मुँह से एक शब्द भी नहीं फूटा है।” बीते वर्ष अक्टूबर में प्रख्यात पत्रकार और राजशाही के मुखर आलोचक जमाल खशोगी की हत्या कर दी गयी थी।
सऊदी प्रेस एजेंसी के मुताबिक, 37 सऊदी नागरिकों को आतंकवादी और चरमपंथी विचारधारा अपनाने के कारण फांसी की सज़ा दी गयी थी और साथ ही वह आतंकवाद के विस्तार के लिए सुरक्षा और अस्थिर और भ्रष्ट कर रहे थे। सऊदी अरब में गंभीर अपराधों के लिए फांसी की सज़ा ही मान्य है।
अत्यधिक रूढ़िवादी राजशाही में आम तौर पर मौत की सज़ा सिर कलम करके दी जाती है। दक्षिणपंथी समूह एमनेस्टी इंटरनेशनल ने बयान में कहा कि “इसमें से अधिकतर व्यक्ति शिया समुदाय से थे। जिन्हे शम ट्रायल्स के बाद दोषी करार दिया गया था। शम ट्रायल्स अंतर्राष्ट्रीय निष्पक्ष परिक्षण मानक का उल्लंघन करते हैं जो पूछताछ के दौरान दी गयी यातना पर आधारित होता है।
ईरान-सऊदी के रिश्ते
वाचडॉग के मुताबिक, मृतकों में से 11 शिया बहुल ईरान के जासूस थे जबकि 14 अन्यो को साल 2011-2012 के बीच पूर्वी प्रान्त में सरकार विरोधी प्रदर्शन के लिए सज़ा दी गयी है। आंकड़ों के मुताबिक, इस वर्ष की शुरुआत से सऊदी अरब में 100 व्यक्तियों को मौत की सज़ा दी चुकी है।
साल 2016 में सऊदी ने आतंकवाद के जुर्म में 47 लोगो को मौत की सज़ा दी थी इसमें मशहूर शिया मौलवी निम्र अल निम्र भी शामिल थे, इस पर ईरान ने सऊदी से काफी क्रोधित हुआ था। ईरान में सऊदी के दूतावास को हिंसक प्रदर्शन के दौरान निशाना बनाय गया था और इससे भड़ककर सऊदी ने वीरान से अपने सभी रिश्ते तोड़ दिए थे।
एमनेस्टी की रिपोर्ट के मुताबिक सऊदी अरब ने बीते वर्ष 149 नागरिकों को मौत की सज़ा दी थी और चीन व ईरान के बाद मौ की सज़ा देने में सऊदी तीसरा सबसे बड़ा देश है।