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    अमेरिका और सऊदी अरब

    सऊदी अरब और सभी खाड़ी देश अमेरिका की सेना की तैनाती के लिए सहमत हो गए है और यह खाड़ी में अरब मुल्कों और वांशिगटन के बीच समझौते के तहत है और यह जमीन व जल दोनों पर होगी। सूत्र ने लंदन के अखबार को बताया कि “इस समझौते का मकसद ईरान को सैन्य तनाव से भयभीत करना है। इसमें अमेरिकी निशानों पर हमले भी है और इसका मकसद जंग के मार्ग में प्रवेश करना नहीं है।”

    ईरान ने अमेरिकी युद्धपोत को खाड़ी की तरफ बढ़ते हुए दिखाया था और कहा कि पेंटागन ने दावा किया कि हम उनके हज़ारो ठिकानों को निशाना बना सकते हैं और असल हालातो में यह मामला होगा ही नहीं। उन्होंने दावा किया कि ईरान इस तरीके लड़ाई में प्रशिक्षित है और स्पीडबोट यानी पंथेल का इस्तेमाल कर सकता है और निशानों की तरफ अधिक संख्या में मोर्टार दाग सकते हैं।

    ईरानी रेवोलूशनरी गार्ड्स की क़ुद्स फाॅर्स के नेता कस्सम सोलिमनी ने बगदाद में शिया सैनिको के नेताओं से मुलाकात की थी और उन्हें प्रॉक्सी जंग के लिए तैयार रहने के आदेश दिए थे। दो ख़ुफ़िया सूत्रों ने अखबार से कहा कि सोलिमनी ने ईरानी सैनिको को क्षेत्र में तनाव के दौरान तीन हफ्तों पूर्व तलब किया था। वह मध्य पूर्व में अमेरिकी ठिकानों के लिए खतरा है।

    अमेरिका ने मध्य पूर्व में ताकत में इजाफा किया है। वांशिगटन ने अमेरिकी जंगी विमान, बी-52 बमवर्षक और पेट्रियट मिसाइल की तैनाती की है। अमेरिका को ख़ुफ़िया विभाग की सूचना के मुताबिक, ईरान की सरकार ने क्षेत्र में अमेरिकी सेना पर हमले के आदेश दिए हैं।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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