ईरान के साथ बढ़ते तनाव के बीच बीते हफ्ते सऊदी अरब के टैंकरों पर तीव्र हमले हुए थे। सऊदी अरब के विदेश विभाग ने रविवार को बयान जारी कर कहा कि “जंग को टालने के लिए सरकार हर संभव प्रयास करेगी लेकिन बलपूर्वक और दृढ़ता से प्रतिकार करने के लिए भी तैयार है।”
विदेश मामलो के राज्य मंत्री आदेल अल जुबैर ने कहा कि “सऊदी अरब इस क्षेत्र में जंग नहीं चाहता है और इस जंग से बचने के लिए हर मुकीम कोशिश करेंगे। साथ ही पुष्टि की कि अगर विपक्षी पक्ष ने युद्ध का चयन किया है तो सल्तनत बलपूर्वक और दृढ़ता से प्रतिकार करेगा और आत्मरक्षा और अपने हितो का संरक्षण करेगी।”
12 मई को सऊदी अरब के दो टैंकरों और दो अन्य जहाजों को यूएई के समावेशी आर्थिक क्षेत्र में निशाना बनाया गया था। हालाँकि इस क्षति की जिम्मेदारी किसी समूह ने नहीं ली है। अमेरिका के साथ ईरान तनाव के एक नए चरण पर पंहुच गया है और उसके इस हमले के पीछे होने की सम्भावना है।
इसके दो दिनों बाद यमन के हूथी विद्रोहियों ने सऊदी अरब की तेल पाइपलाइन में ड्रोन हमले की जिम्मेदारी ली थी, जिसमे एक पाइपलाइन को थोड़ा नुकसान हुआ था इसके प्रतिकार में सऊदी अरब ने यमन में हूथी विद्रोहियों के आखिरी गढ़ पर भारी हवाई हमला किया था। इस हमले में छह लोगो की मौत हो गयी थी और कई बुरी तरह जख्मी है।
इस हमले के बाद सऊदी अरब के बादशाह सलमान ने गल्फ कोऑपरेशन कॉउन्सिल और अरब लीग को विशेष सम्मेलन के लिए 30 मई को मक्का के शहर में एकत्रित होने के लिए कहा था। हाल ही अमेरिका ने खाड़ी में बमवर्षक और जंगी जहाज की तैनाती की मंज़ूरी दी थी।
वांशिगटन ने अरब खाड़ी के जल में और सैनिको की तैनाती करने का आग्रह किया है जिसे शुक्रवार को जीसीसी में मंज़ूरी दे दी थी। यह मंज़ूरी खाड़ी देशों और अमेरिका के बीच हुए द्विपक्षीय समझौते के तहत दी गयी है।