अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के प्रशासन सऊदी अरब के साथ मजीद विवादित सैन्य संबंधों को बढ़ा रहा है। ईरान के साथ तनाव के चलते सऊदी अरब में अमेरिका सैकड़ो सैनिको की तैनाती की योजना बना रहा है। सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रिंस सुलतान एयर बेस में न्यूनतम पांच सौ सैनिको को भेजा जायेगा। यह सऊदी की राजधानी रियाद के पूर्वी रेतीले इलाके में तैनात रहेंगे।
सऊदी में सैनिको की तैनाती
अधिकारीयों की रिपोर्ट के मुताबिक, सैन्यकर्मियों और सैनिको की एक टुकड़ी को इलाके में ही तैयार किया जायेगा। यहाँ पेट्रियट मिसाइल डिफेन्स बैटरी, रनवे और हवाई सुधार किये जायेंगे। सुरक्षा कारणों से वांशिगटन लम्बे समय से यहाँ अपने सैनिको का एक स्टेशन चाहता था, इससे ईरान की मिसाइल को महत्वपूर्ण क्षेत्र तक पंहुचने में दिक्कत होगी।
अमेरिका और सऊदी अरब के सम्बन्ध बेहद करीबी और संवेदनशील रहे हैं। जमाल खशोगी की हत्या में ट्रम्प प्रशासन की प्रक्रिया को सँभालने पर कांग्रेस ने नाराजगी व्यक्त की थी। खशोगी की हत्या बीते वर्ष 2 अक्टूबर को तुर्की में स्थित सऊदी अरब के दूतावास में हुई थी।
सीआईए के जांच के मुताबिक, मोहम्मद बिन सलमान ने ही पत्रकार की हत्या के आदेश दिए थे। पत्रकार सऊदी की राजशाही के मुखर आलोचक थे। हालाँकि ट्रम्प प्रशासन ने कहा कि “ईरानी तनावों से सऊदी अरब का संरक्षण करने के लिए प्रतिबद्ध है।”
शुरुआत में ट्रम्प ने ऐलान किया था कि “प्रशासन ने करीब 1000 अमेरिकी सैनिको को मध्य पूर्व में ईरान के साथ जारी तनाव के कारण भेजा था। उन्होंने सार्वजानिक तौर पर ऐलान किया कि सऊदी अरब में सबसे पहले सैनिको की तैनाती की जाएगी।”
अमेरिका के सांसदों ने सोमवार को सर्वसम्मति से एक विधेयक को पारित कर दिया है जिसके तहत जमाल खशोगी की हत्या में शामिल सऊदी अरब के अधिकारी पर प्रतिबन्ध लागू कर दिए गए हैं। इसके तहत आरोपियों पर यात्रा पाबन्दी और वीजा प्रतिबन्ध लगाये जायेंगे।