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    देश में कानून बनाने की सर्वोच्च संस्था संसद में गर्मागर्म राजनीतिक बहस के बीच कविताओं, छंदों, संस्कृत के श्लोकों, चुटकियों और शेरो-शायरी का दौर भी चलता रहता है। सदन का माहौल हल्का हो जाता है और सांसदों के ठहाके व तालियां गूंजती हैं। संस्कृत के श्लोक जहां ऋग्वेद एवं गीता से लेकर अन्य शास्त्रों से लिए जाते हैं, वहीं बशीर बद्र, राहत इंदौरी एवं वसीम बरेलवी की शेरो-शायरी, रवींद्रनाथ टैगोर, रामधारी सिंह दिनकर की कविताएं और गोस्वामी तुलसीदास एवं अमीर खुसरो के दोहे पर सदन में मौजूद सदस्य खूब तालियां बजाते देखे जाते हैं।

    17वीं लोकसभा के पहले सत्र (17 जून से 6 अगस्त 2019) में गंभीर माहौल के बीच कविताओं, दोहों और शेरो-शायरी के करीब 189 मौके आए, जिस दौरान सदस्यों ने अपनी चर्चा के क्रम में गर्मागर्म बहस से इतर साहित्य की ओर रुख किया।

    नए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला के स्वागत में 19 जून को कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी ने कुछ यूं कहा, “वो ही राम जो दशरथ का बेटा/वो ही राम जो घर-घर में लेटा/वो ही राम जगत पसेरा/वो ही राम सबसे न्यारा।” इसके साथ ही उन्होंने कहा, “सर, हमें इस तरह का समाज बनाना चाहिए.. जब मुल्ला को मस्जिद में राम नजर आए/जब पुजारी को मंदिर में रहमान नजर आए/दुनिया की सूरत बदल जाएगी/जब इंसान को इंसान में इंसान नजर आए।”

    अपने हर बयान को कविता के सांचे में पिरोकर कहने वाले आरपीआई के नेता रामदास अठावले ने 19 जून को लोकसभा अध्यक्ष के स्वागत में कुछ यूं कहा, “एक देश का नाम है, रोम, लेकिन लोकसभा के अध्यक्ष बन गए हैं, बिरला ओम/लोकसभा का आपको अच्छी तरह चलाना है काम/वेल में आने वालों का ब्लैक लिस्ट में डालना है, नाम/नरेंद्र मोदी जी और आपका दिल है विशाल, राहुल जी आप अब रहो खुशहाल/हम सब मिलकर हाथ में लेते हैं एकता की मशाल और भारत को बनाते हैं और भी विशाल/आपका राज्य है राजस्थान, लेकिन लोकसभा की आप बन गए हैं, जान/भारत की हमें बढ़ानी है शान, लोकसभा चलाने के लिए आप जैसा परफेक्ट है, मैन।”

    बुंदेलखंड की केन-बेतवा लिंक परियोजना पर चर्चा के दौरान 21 जून को भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने बशीर बद्र का शेर पेश किया- “अगर फुरसत मिले, पानी की तहरीरों को पढ़ लेना/हर एक दरया हमारे सालों का अफसाना लिखता है।” अपनी चर्चा का समापन करते हुए उन्होंने कहा, “खेत-खेत फैला सन्नाटा है, गागर घाट तुम्हारा है/घाट-घाट में निर्मम प्रहार, अन्न कहां से लाओगे आप।”

    राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान 24 जून को भाजपा सांसद प्रताप चंद्र सारंगी ने संस्कृत के इस श्लोक का पाठ किया- “निन्दन्तु नीतिनिपुणा यदि वा स्तुवन्तु/लक्ष्मी: समाविशतु, गच्छतु वा यथेष्टम्/अद्यैव मरणस्तु, युगान्तरे वा/न्याय्यात्पथ: प्रविचलन्ति पदं न धीरा:।” इसका अर्थ यह है कि सच विजयी होकर आएगा और सच को काले बादलों से छुपाया नहीं जा सकता। सारंगी ने इसका साथ रामचरितमानस से इसका भी वाचन किया- “रघुकुल रीत सदा चली आई/ प्राण जाई पर वचन न जाई।”

    कांग्रेस सांसद सुरेश नारायण धानोरकर उर्फ बालूभाई ने 24 जून को चर्चा में वसीम बरेलवी का शेर पेश किया- “झूठ वाले कहीं से कहीं बढ़ गए/ और हम थे कि सच बोलते रह गए।”

    फिल्म अभिनेत्री और भाजपा सांसद हेमा मालिनी ने 25 जून को चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा, “भारत किसी से पीछे नहीं, भारत किसी से कम नहीं/भारत को आंख दिखाए, अब किसी में दम नहीं।”

    तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने 25 जून को धन्यवाद प्रस्ताव पर हिस्सा लेते हुए रामधारी सिंह दिनकर की कविता का जिक्र किया- “हां हां दुर्योधन बांध मुझे/बांधने मुझे तू आया है/जंजीर बड़ी क्या लाया है/सूने को साध न सकता है/ वह मुझे क्या बांध सकता है।” आगे उन्होंने राहत इंदौरी का शेर अर्ज किया- “जो आज साहबे मसनद हैं, वह कल नहीं होंगे/ किरायेदार हैं, जाती मकान थोड़ी है/सभी का खून है शामिल यहां की मिट्टी में/किसी के बाप का हिन्दुस्तान थोड़ी है।”

    इसके अलावा सांसदों ने कविगुरु रवींद्रनाथ टैगोर के साथ ही नामचीन कवियों, शायरों एवं राजनीतिज्ञों के शेरों, दोहों और उद्धरणों का जिक्र किया, जिनमें प्रमुख रूप से शामिल हैं- मनु शर्मा, अदम गोंडवी, दुष्यंत कुमार, जयप्रकाश नारायण, दीक्षित दनकौरी, कुंअर बेचैन, कवि प्रदीप, अशोक साहिल, अब्दुल रहीम खान, देवेंद्र शर्मा देव व मोहसिन भोपाली।

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