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    केंद्रीय रक्षा राज्यमंत्री श्रीपद नाईक ने बुधवार को लोकसभा को बताया कि केंद्र सरकार ने पिछले तीन साल में 5.67 अरब डॉलर के 21 रक्षा ऑफसेट अनुबंध किए हैं। लोकसभा सांसदों- डी.एस. माने, श्रीकांत शिंदे और सुजय राधाकृष्णा पाटिल के प्रश्न पर नाइक ने लिखित जवाब के माध्यम से यह जानकारी दी।

    मंत्री ने लिखित जवाब में कहा कि 2001 में निजी क्षेत्र में रक्षा उत्पादन के बाद से रक्षा क्षेत्र के विस्तृत उत्पादों के उत्पादन के लिए अक्टूबर 2019 तक 452 व्यक्तिगत लाइसेंस जारी किए जा चुके हैं। इनमें से पिछले 109 लाइसेंस पिछले तीन वित्त वर्षो में जारी किए गए हैं।

    अपने जवाब में मंत्री ने कहा, “अप्रैल 2014 से अब तक रक्षा और एयरोस्पेस सेक्टर में कंपनियों ने 1,812 करोड़ रुपये की एफडीआई रिपोर्ट की है।”

    इससे पहले सार्वजनिक सेक्टर रहा रक्षा उद्योग सेक्टर 2001 में स्वदेशी कंपनियों की 100 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ खुला, जिसमें प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) 26 प्रतिशत तक था, और दोनों लाइसेंसिंग के अधीन थे। इसके बाद केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय की औद्योगिक नीति और संवर्धन विकास ने एफडीआई को ऑटोमेटिक मार्ग से 49 प्रतिशत और सरकार के माध्यम से 49 प्रतिशत से ज्यादा की अनुमति दे दी।

    मंत्री ने अपने जवाब में थिंकटैंक इंस्टीट्यूट फॉर डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस के एक शोध का हवाला दिया। इस शोध के अनुसार, मार्च 2019 तक रक्षा मंत्रालय ने सभी विभिन्न भारतीय ऑफसेट साझेदारों के साथ कुल 11.79 अरब डॉलर के 52 अनुबंधों पर हस्ताक्षर हुए।

    नाइक ने अपने जवाब में कहा, “अब तक उद्योग द्वारा विकास के लिए दिए गए 44 प्रस्तावों को मेक-दो (मेक इन इंडिया योजना) के अंतर्गत सैद्धांतिक मंजूरी दी जा चुकी है।”

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