इलेक्टोरल बॉन्ड को ‘बड़ा घोटाला’ करार देते हुए कांग्रेस के साथ कुछ विपक्षी पार्टियों ने गुरुवार को लोकसभा की कार्यवाही के दौरान आरोप लगाया कि इस योजना में ‘पारदर्शिता की कमी’ है और उन्होंने इस मुद्दे को लेकर सदन से बहिर्गमन किया। सदन की कार्यवाही शुरू होते ही मामले को कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने उठाया। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी ने इस मुद्दे पर स्थगन प्रस्ताव दिया है।
चौधरी ने इलेक्टोरल बॉन्ड मुद्दे पर केंद्र पर आरोप लगाया और कहा कि “इस योजना के जरिए देश को लूटा जा रहा है। यह बहुत बड़ा घोटाला है। यह गंभीर मुद्दा है और हमने एक स्थगन नोटिस दिया है।”
सत्ता पक्ष का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि जब वे विपक्ष में थे तो उन्होंने सदन को चलने नहीं दिया था और कोयला ब्लॉक आवंटन को लेकर संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के खिलाफ आरोप लगाए थे।
कांग्रेस के सदस्यों ने प्रश्नकाल के दौरान इस मुद्दे पर प्रदर्शन किया और वे लोकसभा अध्यक्ष के आसन के समक्ष जमा हो गए।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने प्रदर्शन कर रहे सदस्यों से अपनी सीटों पर जाकर बैठने को कहा और मुद्दे को शून्यकाल के समय उठाने को कहा। उन्होंने कहा, “प्रश्नकाल महत्वपूर्ण है, क्योंकि सभी सदस्य अपने मुद्दे उठाना चाहते हैं।”
बिड़ला ने चेतावनी दी कि किसी भी सदस्य को सदन के मध्य में आकर अध्यक्ष से बात नहीं करनी चाहिए।
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने मुद्दे को शून्यकाल में उठाया और इलेक्टोरल बॉन्ड के मुद्दे पर स्थगन प्रस्ताव का उल्लेख किया।
तिवारी ने कहा, “1 फरवरी, 2017 से जब इस सरकार ने आम बजट के दौरान अज्ञात इलेक्टोरल बॉन्ड जारी करने का प्रस्ताव रखा तो यह भ्रष्टाचार को ढंकने का एक प्रयास था। जब यह योजना लागू की गई तो यह केवल लोकसभा चुनाव तक ही सीमित थी।”
जब मनीष तिवारी को कर्नाटक चुनाव से पहले की घटना को शामिल करते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय को लेकर सवाल उठाने की अनुमति लोकसभा अध्यक्ष द्वारा नहीं दी गई तो कांग्रेस सदस्य सरकार के खिलाफ नारे लगाते हुए सदन से बर्हिगमन कर गए।
बिड़ला ने शून्यकाल को जारी रखा, क्योंकि उन्होंने पहले घोषणा की कि उन्होंने कांग्रेस के लाए गए स्थगन प्रस्ताव को अनुमति नहीं दी है।